छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

बेचाघाट आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ, आदिवासियों ने बुलंद की आवाज - Bechaghat movement

Kanker Bechaghat movement second anniversary पिछले दो साल से अपनी मांगों को लेकर अड़े छोटे बेठिया के आदिवासी बेचाघाट आंदोलन को लेकर अपनी आवाज तेज कर दिए. बेचाघाट आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ मनाई गई. इसमें हजारों आदिवासी शामिल हुए.

Kanker Bechaghat movement second anniversary
बेचाघाट आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 8, 2023, 7:09 PM IST

Updated : Dec 8, 2023, 8:33 PM IST

आदिवासियों ने बुलंद की आवाज

कांकेर:कांकेर जिले को आंदोलनों का गढ़ कहा जाता है. यहां सबसे ज्यादा आदिवासी आंदोलन करते हैं. इन आंदोलनों में बेचाघाट आंदोलन भी शामिल है. पिछले दो साल से छोटे बेठिया थाना क्षेत्र में आदिवासी बेचाघाट आंदोलन कर रहे हैं. शुक्रवार को इस आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ है. आदिवासियों ने इस आंदोलन के वर्षगांठ को मनाया है. इस दौरान हजारों की तादाद में आदिवासी आंदोलनकारी मौजूद रहे.

क्या है बेचाघाट आंदोलन:दरअसल, पिछले 2 साल से छोटे बेठिया थाना क्षेत्र के आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. स्थानीय आदिवासी बेचाघाट संघर्ष समिति के बैनर तले बेचाघाट के कोटरी नदी के किनारे अस्थाई छिंद के झोपड़ी बना कर इस आंदोलन में डटे हुए हैं. आंदोलनकारियों की मांग है कि बेचाघाट में कोटरी नदी में सरकार की ओर से पुलिया के जो प्रस्ताव हैं, उसे निरस्त किया जाए और यहां पुल न बनाया जाए.

मनाई गई बेचाघाट आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ: इस आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ शुक्रवार को आदिवासियों ने मनायी. इसके साथ ही आदिवासियों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर हुंकार भरी है. इस दौरान हजारों की तादाद में आंदोलनकारी मौजूद रहे. कई सामाजिक कार्यकर्ता भी आंदोलन के समर्थन में मौजूद रहे. बेचाघाट से छोटे बेठिया तक रैली निकाली गई और छोटे बेठिया में सभा आयोजित कर नायाब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया.

जानिए आंदोलनकारियों की मांग:आंदोलन में मौजूद बेचाघाट संघर्ष समिति से जुड़ी मैनी कचलाम ने बताया कि, "हमारी मांग है कि बेचाघाट में जो प्रस्तावित पुल हैं. उसे निरस्त किया जाए और हाल ही में गोमे गांव में हुई मुठभेड़ में दो ग्रामीणों की हत्या की न्यायिक जांच और दोषियों पर कार्रवाई की जाए. ग्रामीणों को डर है कि पुल बनने से उनके गांव में सुरक्षा कैंप बैठाया जाएगा. सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों के नाम पर उन्हें प्रताड़ित करेंगे."

सरकार यहां पुलिया बनाने वाली है. पुलिया बनाने के लिए कैम्प बैठाएगी. फिर हमारे जल, जंगल, जमीन को ले जाएगी. हम अपना जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां बिना ग्राम सभा के सरकार काम कर रही है. बीएसएफ कैम्प खुलने से सुरक्षाबल के जवान अंदरूनी इलाके में जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते है. ग्रामीणों की सुरक्षा नहीं करते. आदिवासी ग्रामीण जवानों से अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं.- सिया राम पुडो, बेचाघाट संघर्ष समिति के सदस्य

तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी पुल निर्माण की घोषणा: साल 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल माध्यम से 15 करोड़ 89 लाख 91 हजार की लागत से पुल निर्माण की घोषणा की थी. यह पुल बन जाने से कांकेर जिले के साथ-साथ पड़ोसी जिला नारायणपुर भी जुड़ जाएगा और क्षेत्र के लोग नारायणपुर भी आवागमन कर सकेंगे.इस पुल निर्माण से 150 से अधिक गांवों के लोगों का आवगमन सुलभ होगा. हालांकि गांव के लोग इस पुल निर्माण के खिलाफ हैं.

छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री चयन के लिए भाजपा ने नियुक्त किए केंद्रीय पर्यवेक्षक
जीत के बाद गुरु महंत राम सुंदर दास से मिले बृजमोहन अग्रवाल, लिया आशीर्वाद
छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेता अमरजीत भगत ने नहीं मुंडवाई मूंछ, कड़क मूंछ पर चली सिर्फ कैंची?
Last Updated : Dec 8, 2023, 8:33 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details