भानुप्रतापपुर: जिस उम्र में बच्चों के हाथों में खिलौने होने चाहिए, वहां उनसे इस भीषण गर्मी में बाल मजदूरी करवाई जा रही है. भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत साल्हे गांव में फड़ मुंशी फॉरेस्ट विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. यहां नाबालिग बच्चों से 8 रुपये के एवज में तेंदूपत्ता के 1000 पत्तों की गड्डियों को सुखाने व पलटने का काम लिया जा रहा है.
मासूमों से बाल मजदूरी करा रहे हैं सरकारी कर्मचारी, मौन है विभाग !
भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत साल्हे गांव में फड़ मुंशी द्वारा इस भीषण गर्मी में बाल मजदूरी करवाई जा रही है. यहां नाबालिग बच्चों से 8 रुपये के एवज में तेंदूपत्ता के 1000 पत्तों की गड्डियों को सुखाने व पलटने का काम लिया जा रहा है.
फड़ मुंशी ने रखा काम पर
बच्चों से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि फड़ मुंशी द्वारा उन्हें काम करने को कहा गया है और 1000 गड्डी पलटने पर 8 रुपए मजदूरी दिए जाने की बात की गई है. बच्चों ने बताया कि रोज 4 से 5 हजार गड्डियां पलटने के काम के एवज में 40 से 50 रुपये मजदूरी बनती है. लेकिन यह राशि भी उन्हें तत्काल नहीं दी जा रही है, यह रकम उन्हें बाद में मिलने की बात कही गई है.
बाल मजदूरी पर नियंत्रण में शासन फेल
बाल मजदूरी जैसे कार्यों को रोकने के लिए कई समितियां बनाई गई हैं लेकिन जो हालात देखने को मिल रहे हैं, उससे तो यही साबित होता है कि जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक में बाल मजदूरी पर नियंत्रण की शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशें फेल हो रही हैं और मासूम बच्चे इस चिलचिलाती गर्मी में आज भी बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं.