कांकेर: शहर में इन दिनों भालू से दहशत का माहौल बना हुआ है. भालू जंगल छोड़ इंसानी बस्तियों का रुख करने लगें हैं. भालुओं का झुंड शहर में कभी भी, कहीं भी दिखाई दे जाते हैं. वन विभाग ने जामवंत परियोजना के तहत शिव नगर से ठेलकाबोड़ तक विस्तृत पहाड़ी को भालुओं के आवास का रूप दे दिया है. रिहायसी बस्ती के पास भालुओं के लिए आवास बनाना. आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.
2014 में शुरू हुई थी परियोजना
कैम्पा योजना के तहत वर्ष 2014-2015 में यह परियोजना शुरू हुई थी. शिव नगर और ठेलाकाबोड़ स्थित पहाड़ी के 30 हजार 630 हेक्टेयर भूमि को भालू रहवास बनाया गया था. योजना के तहत अमरूद, बेर, मकोय, जामुन, गुलर, और आम के पौधे तो लगाए गए थे, लेकिन बेर, मकोय के पौधों के छोड़कर दूसरा कोई भी पौधा अब तक फल देने लायक नहीं हुआ है. जिसके कारण यहां भालुओं को भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.अब भालू भोजन की तलाश में रिहायशी बस्ती की ओर रुख करने लगे हैं इसके कारण लोगों में दशहत का माहौल है. दूसरी ओर आने वाले समय में यह खतरा और भी अधिक बढ़ने की आशंका बनी हुई है.
ऑक्सीवन में भी भालुओं ने जमाया डेरा
रिहायशी बस्तियों के बीच ही भालुओं के लिए विचरण क्षेत्र बनाए जाने से भालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. जिससे भालू रिहायसी बस्ती में पहुंचने लगे हैं. भालू और इंसानों के बीच संघर्ष की भी घटना तेजी से बढ़ रही है. इसी प्रकार शहर से लगे गोविंदपुर गांव में वन विभाग ने ऑक्सीवन बनाया था. यह ऑक्सीवन भी अब पूरी तरह से भालुओं का आवास बन चुका है. आक्सीवन और ठेलकाबोर्ड स्थित जामवंत परियोजना का क्षेत्र भालुओं के आवास और प्रजनन के अनुकुल है. इन जगहों पर भालुओं की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि वन विभाग ने यहां लोगों को सतर्क रहने के लिए बोर्ड भी लगा है.