छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

कांकेर के दुर्गम इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवा पहुंचा रहे ये देवदूत ! - स्वास्थ्य सेवा पहुंचा रहे ये देवदूत

कांकेर में कोयलीबेड़ा से 30 किमी दूर बीहड़ दुर्गम क्षेत्र गांव आलपरस में स्वास्थ्य शिविर (Health camp) लगाने के लिए डॉक्टर और स्टाफ का एक दल निकल पड़ा. रास्ते में कई रुकावटों के बाद भी उनकी हिम्मत टस से मस नहीं हुआ. कभी घुटने तक कीचड़ भरे रास्तों से ट्रैक्टर की सवारी की, तो कभी पैदल और आखिरी मुकाम तक पहुंच स्वास्थ्य सेवाएं (Health Services) उपलब्ध कराईं.

health workers
स्वास्थ्य कर्मी

By

Published : Sep 26, 2021, 8:51 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 9:10 PM IST

कांकेर:बस्तर के सुदूर अंचलों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना किसी चुनौती से कम नहीं है. धरती के भगवान कह जाने वाले डॉक्टर इन बीहड़ नक्सल (Naxal) क्षेत्रो में अपनी परवाह किए बिना लोगों की सेवा में जुटे हुए है. ETV BHARAT उत्तर बस्तर के स्वास्थ्य अमले की नक्सल प्रभावित सुदूर अंचलों में सेवाओं की सुंदर तस्वीरें दिखा रहा है. जिन्हें देखने के बाद इन्हें हर कोई सलाम करेगा.

कांकेर के स्वास्थ्य कर्मी दुर्गम इलाकों में दे रहे सेवा

उत्तर बस्तर कांकेर के कोयलीबेड़ा (koyalabeda) की है. कोयलीबेड़ा से 30 किमी दूर बीहड़ दुर्गम क्षेत्र गांव आलपरस में स्वास्थ्य शिविर लगाने के लिए डॉक्टर और स्टाफ के एक दल निकल पड़ा, लेकिन रास्तों के रुकावटों ने उनकी हिम्मत नहीं तोड़ी. कभी घुटने तक कीचड़ भरे रास्तों से ट्रैक्टर की सवारी की तो कभी पैदल और आखरी मुकाम तक पहुंच स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई.


कच्ची हैं नदी उस पार की सभी सड़कें

डॉक्टर दीपक साहू ने बताया कि कोयलीबेड़ा एम दुर्गम वनांचल क्षेत्र है. कोयलीबेड़ा के मेढकी नदी के उस बार सारे गांव आज भी पक्की सड़कों से नहीं जुड़ पाए हैं. बारिश के 4 महीनों में तो स्थिति और भी खराब रहती है. पानीडोबीर, कैसेकोड़ी पं, कामतेड़ा, कडमे सहित विभिन्न गांवो में पैदल ही जाना पड़ता है.

डॉक्टर दीपक साहू एक गांव में स्वास्थ्य शिविर लागे जाने का जिक्र करते हुए बताते हैं कि आलपरस में स्वास्थ्य शिविर लगाना था. जो कोयलीबेड़ा से 30 किमी दूर है. कोयलीबेड़ा से डुटापारा 6 किमी बस हमारी एम्बुलेंस जा सकती हैं. वहां से सड़क खीचड़ भरा है. जहां ट्रैक्टर चलना भी मुश्किल है. लेकिन आलपरस के सरपंच के द्वारा 24 किमी कीचड़ भरे रास्तों से ट्रेक्टर को पार किया गया लेकिन रास्ते मे 4 किमी पहले ही ट्रैक्टर फंस गया और हमें 4 किमी पैदल चल कर आलपरस गांव पहुंचना पड़ा. तब कहीं जाकर स्वास्थ्य शिविर लगाया गया.

बता दें कि इन दुर्गम क्षेत्रों में धरती के भगवान कहलाने वाले डॉक्टर कभी नदियों में प्लास्टिक के ड्रम के ऊपर लकड़ी का तख्त लगा कर नदी-नाले पर करते हैं. इतना ही नहीं, लोग नदी-नाले के पानी को पार कर जाते हैं. कई बार खुद स्वास्थ्य कर्मी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. अपनी जान दांव पर लगा कर उत्तर बस्तर के दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य अमला अपनी सेवाएं दे रहे है.

Last Updated : Sep 26, 2021, 9:10 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details