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SPECIAL: बस्तर में राम के नाम पर क्यों छिड़ा 'संग्राम' ? - राम वन गमन पथ का विरोध

राम वन गमन पथ और राम के नाम पर छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज सड़कों पर है. आदिवासी समाज ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. समाज का मानना है कि जबरदस्ती दूसरी संस्कृति उनके ऊपर थोपी जा रही है.

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आदिवासियों ने राम वन गमन पथ का फिर किया विरोध

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Published : Dec 26, 2020, 11:21 PM IST

कांकेर: छत्तीसगढ़ में भगवान राम इन दिनों सुर्खियों में हैं. सरकार राममय हो चुकी है. आदिवासी राम वन गमन पथ योजना के खिलाफ है. बस्तर में आदिवासी सरकार की इस महात्वाकांक्षी योजना का विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि शासन जबरदस्ती दूसरी संस्कृति उनके ऊपर थोप रही है. सर्व आदिवासी समाज इसके विरोध में मुखर हो गया है.

आदिवासियों ने राम वन गमन पथ का फिर किया विरोध

भूपेश सरकार राम वन गमन पथ योजना के तहत 51 स्थानों पर करोड़ों की लागत से राम मंदिरों का निर्माण करा रही है. दो साल का जश्न भी सरकार ने माता कौशल्या की जन्मस्थली चंदखुरी में मनाया. इसके लिए उत्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ से रैली निकाली गई. लेकिन सरकार की ये रैली आदिवासियों को रास नहीं आई. भारी विरोध हुआ और विरोध में शामिल 60 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई. इसके विरोध में सर्व आदिवासी समाज 30 दिसंबर को जेल भरो आंदोलन की तैयारी में है.

विरोध पर दर्ज हुई एफआईआर

14 दिसंबर को राज्य के दो सिरे उत्तर के कोरिया और दक्षिण के सुकमा जिले से रथ निकलना था. यह रथ राम वन गमन पथ योजना के तहत बनने वाले मंदिरों की जगहों से होकर गुजरना था. जिसकी स्वगात की तैयारी का जिम्मा स्थानीय प्रशासन को दिया गया था. स्थानीय प्रशासन ने भव्य तैयारी कर रखी थी. लेकिन इसी बीच नाराज आदिवासियों ने चक्काजाम कर दिया. आदिवासियों का कहना था कि ये उनके रीति-रिवाजों और परंपराओं के खिलाफ है. नतीजा ये निकला कि रथ को बस्तर की मिट्टी लेकर जाना था लेकिन पहले दिन ही आदिवासियों ने रामाराम से मिट्टी नहीं ले जाने दी.

कोंडागांव में भी हुआ विरोध

रामाराम से निकलने के बाद रथ 15 दिसंबर को कोंडागांव पहुंचा. यहां भी आदिवासियों ने विरोध किया. आदिवासियों का कहना है कि उनकी संस्कृति अलग है. दूसरी संस्कृति उन पर थोपी जा रही है.

कांकेर में आदिवासियों ने कर दिया सड़क जाम

16 दिसंबर को रथ कांकेर पहुंचा. प्रशासन तैयारी के साथ था लेकिन सुबह 9 बजे ही आदिवासियों ने नेशनल हाईवे जाम कर दिया. आदिवासियों ने रथ से पूरी मिट्टी जो रथ जगह-जगह से लेकर जा रही थी उसे निकाल लिया. प्रशासन के काफी मनाने के बाद आदिवासियों ने रथ को सीधा जाने की शर्त पर सड़क जाम खत्म किया. राम वन गमन पथ यात्रा रथ तय रूट से न जा सका.

विरोध के चलते 60 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

दो दिनों बाद जो आदिवासी सड़क जाम कर विरोध जता रहे थे, उनमें से 60 आदिवासी नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. इन लोगों में पूर्व भाजपा सांसद और सर्व आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई भी शामिल थे.

एफआईआर होने पर फिर फूटा गुस्सा

राम वन गमन पथ रथ का विरोध करने पर 60 आदिवासियों के ऊपर केस दर्ज होने के बाद आदिवासी फिर नाराज हो गए हैं. जानकरी के अनुसार 30 दिसंबर को सर्व आदिवासी समाज जेल भरो आंदोलन की तैयारी में है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने पहले ही कांकेर जिला कार्यलय का घेराव कर दिया.

खास धर्म को थोप रही है सरकार: हेमलाल मरकाम

गोडंवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष हेमलाल मरकाम ने ETV भारत से कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. बस्तर के आदिवासियों की परंपरा रीति-रिवाज अलग है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार पूरे प्रशासनिक अमले का इस्तेमाल कर एक खास धर्म को आदिवासियों पर थोप रही है. जिसका आदिवासी समाज ने विरोध किया था.

मरकाम ने सरकार पर आदिवालियों को डराने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जब तक 60 लोगों पर से एफआईआर हटाई नहीं जाती राम वन गमन पथ का विरोध जारी रहेगा. मरकाम ने कहा कि आदिवासी समाज किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. प्रशासन संविधान का पालन नहीं करता. बस्तर के जिन स्थानों को राम वन गमन पथ बनाया गया है, वो आदिवासियों का देवस्थल है. मंदिर निर्माण की योजना अधिकतर आदिवासी, पिछड़ा बहुल क्षेत्रों में है. मंदिर निर्माण की योजना अधिकतर आदिवासी, पिछड़ा बाहुल्य क्षेत्रों में है. सरकार का कहना है कि इन 51 स्थानों का राम से संबंध है. लेकिन आदिवासी समाज इसे बनवासी धर्म और परंपरा पर आघात मान रहा है. ऐसे में राम के नाम पर छत्तीसगढ़ में एक नया संग्राम छिड़ गया है. जिसका अंत जल्द होता नहीं दिख रहा है.

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