कांकेर: बीजापुर के तर्रेम में हुए नक्सल हमले में शहीद जवान रमेश जुर्री का शव उनके गृहग्राम पंडरीपानी पहुंचा. शहीद का कांकेर के जंगलवार कॉलेज तक हेलीकाप्टर से लाया गया. यहां से सड़क मार्ग से पार्थिव शरीर को उनके गृहग्राम पंडरीपानी लाया गया. पंडरीपानी में राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया.
शहीद रमेश जुर्री को अंतिम विदाई शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा गांव रमेश जुर्री अमर रहे के नारों से गूंज उठा. शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए गांव के युवाओं ने बाइक रैली निकाली. हाथों में तिरंगा लिए गांव के युवा रमेश को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे.
जब परिजनों ने शहीद दीपक की उतारी आरती, रो पड़ा हर एक शख्स
शहीद को अंतिम विदाई देने बड़ी संख्या में गांव के लोग पहुंचे थे. बेटे का शव देख शहीद की मां और पत्नी के साथ उनके बहनें बेसुध हो गई. अभी 4 दिन पहले ही अपने बेटे से मिलकर रमेश की मां बीजापुर से लौटी थी. एक सप्ताह भी नहीं हुआ कि बेटे की लाश आ गई. मां को यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनका बेटा इस हालत में घर लौटा है. शहीद की 4 साल की बेटी घर के बाहर लोगों की भीड़ को देख अंदाजा नहीं लगा पा रही थी कि आखिर इतनी भीड़ क्यों उमड़ी है. 4 साल की मासूम ने जब अपने शहीद पिता के पार्थिव देह पर फूल चढ़ाए तो वहां मौजूद हर आंखें नम हो गई.
स्थानीय विधायक और सांसद भी पहुंचे
शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए स्थानीय विधायक और सांसद भी पहुंचे थे. नक्सलियों की इस दरिंदगी को देख हर कोई गम और गुस्से में था. विधायक जी ने भी इसे बर्दाश्त से बाहर बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार से नक्सलियों का स्थाई हल निकालने की मांग की.
सासंद मोहन मंडावी ने जवान की शहादत पर दुख जताते हुए इसे दुर्भाग्य बताया. सांसद ने भी केंद्र और राज्य सरकार से इस समस्या का हल निकालने की बात कही.