कांकेर: शनिवार को चारामा ब्लॉक में गोंडवाना समन्वय समिति के बैनर तले हजारों आदिवासियों ने सभा कर रैली निकालते हुए विधायक निवास का घेराव किया था. प्रदर्शन में उवद्रव करने, हथियार लहराने और कोविड-19 के नियमों का उलंघन करने को लेकर पुलिस ने आदिवासी समाज के नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. (FIR against tribal leaders )
कांकेर में आदिवासी नेताओं के खिलाफ अपराध दर्ज आदिवासी समाज समन्वय समिति के बैनर तले शनिवार को विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी (Deputy Speaker Manoj Mandavi) के निवास का घेराव करने के समय भीड़ उग्र हो गई थी. पुलिस के लगाये गए बेरिकेट को तोड़ दिया गया था. इस दौरान दो महिला पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे. पुलिस ने समाज के नेताओं में हेमलाल मरकाम, गौतम कुंजाम समेत 22 लोगों के खिलाफ नामजद और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. जिसमे इन सभी पर भीड़ को उकसाने, कोविड नियमों का उल्लंघन करने को लेकर मामला दर्ज किया गया है.
कांकेर में गूंजा सिलगेर मुद्दा, हजारों आदिवासियों ने घेरा विधायक मनोज मंडावी का निवास
क्या मांग कर रहा आदिवासी सामाज
सर्व आदिवासी समाज में सिलगेर सहित पेसा कानून के सही क्रियान्वयन नहीं होने से गुस्सा है. इसके अलावा और भी अनेक मुद्दे हैं जिनसे समाज में असंतोष का माहौल है. इन मसलों पर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए 19 जुलाई से तीन चरणों में महाआंदोलन करने पर सहमति बनी है. इसके अलावा बैठक में जयस्तंभ चौक पर शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा लगाने की मांग रखी गई है. इसके अलावा सिलगेर का मुद्दा अभी शांत नहीं हुआ है. आदिवासी समाज आसानी से इस मुद्दे को भुलाने के मूड में नजर नहीं आ रहा है. दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं. समाज की बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ महिलाएं और युवा भी बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं.
क्या है सिलगेर का मामला?
सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. (Opposition to creation of CRPF camp ) इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए थे. इसी दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हुई. आदिवासी ग्रमीण उन्हें समान्य नागरिक और अपना साथी बता रहे थे. वहीं सुरक्षाबल उन्हें नक्सली कह रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई है. सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे थे. पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा है कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे थे. इस मामले में भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. इस मामले में सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई थी. कांग्रेस जांच समिति के साथ बैठक में गांववालों ने अपनी 7 मांगे सौंपी थी. 9 जून को 28 दिनों से चल रहा सिलगेर आंदोलन खत्म हो गया था. (Sarva Adivasi Samaj)