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कांकेर में खाद की कमी से परेशान किसानों ने किया चक्काजाम - कांकेर में किसान परेशान

छत्तीसगढ़ में खाद की कमी(shortage of fertilizer in chhattisgarh) की शिकायत लगातार मिल रही है. भानुप्रतापपुर विकासखंड (Bhanupratappur Block) के किसानों ने खाद की किल्लत को लेकर चक्काजाम किया.

Farmers protest due to shortage of fertilizer in Kanker
किसानों ने किया चक्काजाम

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Published : Jul 14, 2021, 7:26 PM IST

कांकेर : जिले में खाद की किल्लत ( shortage of fertilizer) से लगातार किसान परेशान हैं. सप्ताह भर में अंतागढ़ विकासखण्ड(Antagarh Block) में किसानों का विरोध जारी है. अंतागढ़-नारायणपुर(Antagarh Narayanpur) मुख्य मार्ग खाद की समस्या को लेकर किसानों ने जाम कर दिया था. दो दिन बाद भानुप्रतापपुर विकासखंड(Bhanupratappur Block) के भानुप्रतापपुर-पखांजूर(Bhanupratappur Pakhanjur) मार्ग किसानों ने खाद की किल्लत को लेकर जाम कर दिया है.

किसानों का प्रदर्शन

जिले में लगातार खाद की कमी से किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. बुधवार को नरहरपुर विकासखण्ड के दुधावा में खाद की कमी को लेकर किसानों ने लैम्पस के आगे हंगामा कर दिया. बता दें कि लैम्पस में 9 गांव के लोग खाद लेते हैं. लेकिन यूरिया और डीएपी की किल्लत से किसान परेशान हैं. लगातार परेशान होने की वजह से किसानों का गुस्सा फूट पड़ा.

किसानों का प्रदर्शन

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ग्रामीण इंद्रभान साहू ने बताया कि क्षेत्र में 2000 बोरी यूरिया डीएपी की जरूरत है लेकिन मात्र 500 बोरी आया यहां जिससे खाद की समस्या बनी हुई है. ग्रामीण टोकेश्वर साहू ने बताया कि खाद की किल्लत के चलते कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है. जिले के अधिकांश लैंपस में डीएपी और यूरिया खाद की कमी है. जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. बोरगांव के किसान गौतम सिंह ने भी कहा कि लैंपसों में खाद की कमी की बात सामने आ रही है

कृषि के लिए शुरूआती दिनों में डीएपी का प्रयोग किया जाता है और उसके बाद धान की फसल में यूरिया का प्रयोग भी किया जाता है. जिले में खाद का भंडारण जिले में लक्ष्य का आधा भी नहीं हो सका है. खरीफ वर्ष 2021 के लिए 11250 टन यूरिया व 9000 टन डीएपी के भंडारण का लक्ष्य निर्धारित है. जिले में यूरिया व डीएपी की मांग अधिक होने के बाद भी अब तक इनका भंडारण लक्ष्य का आधा भी नहीं हुआ है. अब तक 4280.53 टन यूरिया व 4658.35 डीएपी का भंडारण हुआ है. डीएपी का भंडारण जहां लक्ष्य के आधे के करीब हुआ है, वहीं यूरिया का भंडारण लक्ष्य के आधे से भी कम है.

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