कांकेर :धान खरीदी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे बारदाना का संकट गहराता जा रहा है. शासन-प्रशासन की ओर से अब किसानों से खुद के बारदाना में धान लाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. जिसका सीधा फायदा बारदाना व्यापारी उठा रहे हैं. बाजार में एक बार उपयोग हो चुके बारदाना को व्यापारी 30-30 रुपए नग में किसानों को बेच रहे हैं. जबकि सरकार धान खरीदी के लिए जमा कराए जा रहे बारदानों के लिए 15 रुपए प्रति बारदाना भुगतान कर रही है.
पढ़ें- कोरबा: फड़ प्रभारियों ने दी 28 दिसंबर से हड़ताल की चेतावनी
जिले के 81 हजार 830 किसानों से 125 उपार्जन केंद्र में धान खरीदी किया जा रहा है. जिले में कुल 29 लाख क्विंटल धान की खरीदी होनी है, जिसके लिए 72 लाख 50 हजार बारदाना यानि 14 हजार 500 गठान की आवश्यकता है. जुट मिल, पीडीएस और मिलर्स से 7 हजार 866 गठान बारदाना प्राप्त हुआ है. जबकि अभी भी जिले में 33 लाख 17 हजार बारदाना की जरुरत है. जो शासन के पूर्ति नहीं कर पाने से सरकार अब सीधे किसानों को बारदाना की व्यवस्था करने कहा है. इस स्थिति में सरकार लगभग बोरा की कीमत और प्रोत्साहन के रूप में 15 रूपये देने का बात कर रही है.
सांसद ने सरकार पर लगाए आरोप
खाद्य अधिकारी का कहना है वास्तव में जिले में धान की बम्फर आवक से बारदाना की कमी है, जिसकी व्यवस्था की जा रही है. खरीदी की गई धान को जल्द से जल्द उठाने का कार्य भी किया जा रहा है. अब तक 41 प्रतिशत किसान धान बेच चुके हैं. किसान भी अपनी परेशानी बताते हुए बारदाना के बिना धान नहीं बेच पाने की बाते कह रहे हैं. इन सभी व्यवस्था को देख सांसद मोहन मंडावी ने भी सरकार पर आरोप लागते हुए कहा की भाजपा शासन काल में किसानों को इतनी परेशानी कभी नहीं हुई, जो इस सरकार में हुई है.