कांकेर: छत्तीसगढ़ के किसान धान के अलावा लाख की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. कांकेर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम दशपुर के किसान प्रकाश चन्द्र निषाद लाख की खेती कर सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं. प्रकाश चंद्र को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथों उत्कृष्ट किसान का सम्मान भी मिल चुका है. ETV भारत ने किसान प्रकाश चन्द्र निषाद से बात की.
लाख की खेती कर सालाना लाखों रुपये कमा रहे किसान उन्होंने बताया कि वह पहले धान की खेती के साथ-साथ सिलाई का काम करते थे. दो कामों के बाद भी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो रही थी. उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. इसके बाद उनके किसी रिश्तेदार ने उन्हें लाख की खेती के बारे में बताया था. साल 2011 में उसी रिश्तेदार से लगभग 26 हजार का बीज लेकर उन्होंने लाख की खेती शुरू की थी. प्रकाश चंद्र ने कहा कि शुरुआती दौर में लाख की खेती की जानकारी नहीं होने से ज्यादा फायदा नहीं हुआ.
लाख पालन का लिया प्रशिक्षण
प्रकाश चन्द्र आगे बताते हैं कि उन्हें लाख की खेती के बारे में और जानकारी जुटानी थी. ऐसा सोचकर उन्होंने माकड़ी लाख प्रशिक्षण केंद्र में लाख पालन का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद लीज में पेड़ों को लेकर लाख की खेती की और इस बार उन्हें अच्छी आमदनी हुई. इस खेती से जो आमदनी आई, उससे सबसे पहले उन्होंने ऑटो लिया और ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया.
प्रकाश चंद्र ने लाख की खेती से कमाया मुनाफा छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को मिलेगा कृषि का दर्जा, CM ने दी सहमति
खेती कर पत्नी को दिलाई डिग्री
प्रकाश चंद्र बताते हैं कि लाख की खेती करने का फैसला पत्नी की पढ़ाई पूरी कराने को लेकर लिया था. लाख की खेती से लाखों रुपये कमाने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी की पढ़ाई पूरी कराई. उन्होंने बताया कि उनकी शिक्षा 10वीं तक हुई है. 2007 में उनके मां-बाप ने उनकी शादी करा दी. शादी के बाद पता चला कि उनकी पत्नी 12वीं तक पढ़ी हुई है. पत्नी को आगे पढ़ने की चाह थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण प्रकाश पढ़ाई में मदद नहीं कर पा रहे थे. प्रकाश बताते हैं कि भले ही वो ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए, लेकिन उनकी काफी इच्छा थी कि वे अपनी पत्नी को पढ़ाएं. यही सोचकर उन्होंने लाख की खेती करने की सोची. खेती की आमदनी से उन्होंने पत्नी को बीएसई, बीएड और पीजीडीसीए की डिग्री दिलाई.
प्रकाश चंद्र बताते है कि कुसुम और बेर के वृक्षों को लीज पर लेकर लाख का पालन बरसात के मौसम में नहीं होता है. इसीलिए उन्होंने कांकेर कृषि विज्ञान केंद्र से सम्पर्क किया. उनके सुझाव पर उन्होंने सेमियालता से लाख की खेती करना शुरू किया. अब जिले के किसान प्रकाश निषाद से प्रोत्साहित हो रहे हैं और लाख की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.