पखांजूर: परलकोट क्षेत्र में इन दिनों धान की फसल लगभग पकने लगी है. इस समय धान की खेत में माहु कीटो के हमले से किसान परेशान हो गए हैं. धान के फसल लगाने से पहले जमीन पर घास मारने की दवाओं का छिड़काव कर धान लगाया जाता है. मौसम के अनुसार अलग-अलग कीट-पतंगों के खतरों से धान का फसल को सुरक्षित रखने के लिए किसान 20 से 25 दिनों के बाद कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करता है. अब लगभग धान की फसल पकने वाली है. लेकिन फसल पर माहु कीट के हमले ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
धान की फसल पर माहु कीट का हमला माहु से होता है घाटा
माहु कीट के हमले में धान के फसल को भारी नुकसान होता है. माहु कीट धान के बलियों से रस चूस लेते हैं. जिससे धान के भीतर चावल अधूरा ही बनता है. धान जहां हर एकड़ भूमि पर 25 से 30 क्विंटल उत्पादन होता है, माहु कीटों के प्रभाव से यहां उत्पादन आधे से भी कम हो जाता है. इन दिनों माहु कीटों से धान की फसल को बचाने के लिए किसान तरह-तरह के कीटनाशक दवाओं का छिड़काव खेत में कर रहे हैं.
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किसानों ने बताया कि आर्थिक तंगी के इस समय में महंगे कीटनाशक दवाओं की खरीदारी करना पड़ रहा है. जैसे-तैसे पैसों की जुगाड़ कर दवा खरीद कर खेत में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं. साथ ही एक टंकी कीटनाशक दवा का स्प्रे करने के लिए 40 से 50 रुपए मजदूर को देना पड़ रहा है. एक एकड़ भूमि पर लगभग 10 टंकी स्प्रे किया जाता है. जिसका भुगतान मजदूरों को देना पड़ रहा है.