कांकेर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में भ्रष्टाचार और लापरवाही बढ़ती जा रही (Cracks on Kanker Koylibeda Partapur road) है. ताजा मामला कांकेर से सामने आया है. कांकेर में नक्सलियों का रेड कॉरिडोर कहा जाने वाला कोयलीबेड़ा-परतापुर में आजादी के 75 साल बाद सड़क बनाई गई. इस सड़क के लिए बीएसएफ के 8 जवान शहीद हो गए थे. सैकड़ो जवानों की सुरक्षा के बीच करोड़ों रुपये की लागत से बनाई गई 30 किलोमीटर की पक्की सड़क पर निर्माण के 6 महीने में ही दरारें आ गई है. पुल का एप्रोच सड़क धंसने लगा है. सड़कों के बीच दरारे आने लगी है. हालांकि जिम्मेदार अधिकारी इस संबंध में बात करने से मना कर रहे हैं.
घटिया निर्माण की भेंट चढ़ी सड़क:परतापुर से जब सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ, तब बीएसएफ का कैम्प लगाया गया था. इस कैम्प को कई बार नक्सलियों ने निशाना बनाकर जवानों पर हमले किए. इस सड़क के लिए बीएसएफ के 8 जवान शहीद भी हो गए. इस सड़क के निर्माण के दौरान अब तक 90 बम बरामद हो चुके हैं. 10 से अधिक फोर्स-नक्सली मुठभेड़ हो चुकी है. आज वही सड़क घटिया निर्माण की भेंट चढ़ चुकी है.
अफसर कर रहे मनमानी: इस विषय में स्थानिय ग्रामीणों से ईटीवी भारत ने बात करने की कोशिश की. हालांकि ग्रामीण कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं. एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त में कहा है कि "कोई भी इस सड़क को लेकर कुछ नहीं बोलेगा. नक्सली सड़क निर्माण का शुरू से विरोध करते आए हैं. नक्सली नही चाहते थे कि सड़क का निर्माण हो. अगर कोई ग्रामीण सड़क को लेकर बोलेगा, तो वह नक्सलियों के निशाने में आ जाएगा. ठेकेदार और सम्बन्धित विभागों का यह सड़क खाने खिलाने के एक जरिया बन गया है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कोई नहीं आता. ठेकेदार और अफसर मनमानी करने में लगे हैं."