Chhattisgarh Election 2023 : कांकेर में बीजेपी ने घोषित किया उम्मीदवार, कांग्रेस का तय नहीं, चुनाव में नफा होगा या नुकसान, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
Chhattisgarh Election 2023 कांकेर विधानसभा में बीजेपी ने चुनाव की घोषणा से पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित किया है. आशाराम नेताम इस विधानसभा से चुनावी रण में बीजेपी की ओर से उतरेंगे. वहीं कांग्रेस सितंबर के पहले हफ्ते में सूची जारी कर सकती है. चुनाव से पहले टिकट देना बीजेपी के लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह ये जानने की कोशिश की ईटीवी भारत ने. Meaning of declaration BJP candidate in Kanker
कांकेर में बीजेपी ने घोषित किया उम्मीदवार, चुनाव में नफा होगा या नुकसान
कांकेर : बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांकेर विधानसभा में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. किसान आदिवासी युवा नेता आशाराम नेताम को कांकेर विधानसभा में बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. आपको बता दें कि जिस विधानसभा क्षेत्र से आशाराम को टिकट मिला है वो छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार राजेश तिवारी का गृहक्षेत्र है.
कांकेर समेत 21 विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा की है.लेकिन इन घोषणाओं के बाद क्या इसका फायदा आने वाले चुनाव में प्रत्याशियों को मिलेगा. इस बात की गारंटी कोई नहीं दे रहा है. क्योंकि बीजेपी नए प्रयोग करने के लिए जानी जाती है. पार्टी का प्रयोग सफल होता है या असफल इसका फैसला चुनाव के बाद ही पता चलता है. क्योंकि छत्तीसगढ़ की तरह ही बीजेपी ने कर्नाटक में भी प्रत्याशियों की घोषणा पहले की थी, लेकिन नतीजा उल्टा पड़ा था.
कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा ने ETV भारत को बताया कि बीजेपी की स्ट्रेटजी रही है कि वह हमेशा नए-नए प्रयोग करती है.बीजेपी की पहले प्रत्याशी उतारने की रणनीति कुछ राज्यों में सफल रही है. लेकिन कर्नाटक में हुए चुनाव में बीजेपी को इससे काफी नुकसान भी हुआ था.
कर्नाटक का कैडर बेस और छत्तीसगढ़ के कैडर बेस में काफी अंतर है. छत्तीसगढ़ का कैडर काफी मजबूत है. निश्चित रूप से जो प्रत्याशी बीजेपी ने पहले उतारा है, उसे गांव-गांव तक पहुंचने में आसानी होगी.काफी समय मिलेगा. क्योंकि एक नया चेहरा है. गांव-गांव तक पहुंचने में जो समय दिया गया है, इससे जरूर फायदा होगा. लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि इस माहौल को चुनाव तक बनाए रखना भी एक चुनौती है. -राजेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
कौन हो सकता है कांग्रेस से दावेदार ? :कांग्रेस में अभी तक प्रमुख रूप से तीन नाम सामने आए हैं. एक तो वर्तमान विधायक शिशुपाल शोरी, दूसरे नरहरपुर से शंकर धुर्वा है. शंकर धुर्वा पूर्व विधायक रह चुके हैं ,वहीं तीसरे नंबर पर कांकेर से नितिन पोटाई हैं. कांग्रेस के जो रणनीतिकार हैं उनकी माने तो वर्तमान विधायक कुछ समय से बीमार भी चल रहे हैं. उनको इस बार के चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाना संशय का विषय है. उन्हें कोई और महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है.
कांग्रेस की दूसरी रणनीति नरहरपुर को फोकस करने की है. कांकेर विधानसभा का जो किंग मेकर वोट हैं वह नरहरपुर ब्लॉक क्षेत्र से आते हैं. कांग्रेस हो या बीजेपी उनका जो पारिवारिक बैकग्राउंड है किसान परिवार से ही जुड़ा हुआ है. चाहे वर्तमान में बीजेपी से कांकेर विधानसभा के लिए उम्मीदवार बनाए गए आसाराम नेताम हो या फिर कांग्रेस से शंकर धुर्वा. वर्तमान में 2023 के होने वाले चुनाव में बीजेपी ने कांकेर ब्लॉक से आशाराम नेताम को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. राजनीतिक जानकारों की माने तो ऐसे में कांग्रेस का प्रत्याशी नरहरपुर क्षेत्र से हो सकता है.
नरहरपुर ब्लॉक से चुने जाते हैं अधिकतर प्रत्याशी :बीते कुछ चुनाव के प्रत्याशियों पर नजर डाले तो 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से प्रीति नेताम और बीजेपी से सुमित्रा मारकोले मैदान में थी. जिसमें बीजेपी की सुमित्रा मारकोले चुनाव में जीती थी. ये दोनों ही प्रत्याशी नरहरपुर क्षेत्र के थे.
2013 में कांग्रेस से शंकर धुर्वा और बीजेपी से संजय कोडोपी प्रत्याशी बनाए गए. इस बार बीजेपी का किला ढह गया.कांग्रेस के शंकर धुर्वा की जीत हुई. ये दोनों प्रत्याशी भी नरहरपुर क्षेत्र की थे.
2018 में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी कांकेर ब्लॉक से चुना और शिशुपाल शोरी को प्रत्याशी बनाया. वहीं बीजेपी ने नरहरपुर क्षेत्र के हीरा मरकाम को अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन एक बार फिर कांग्रेस के प्रत्याशी रहे शिशुपाल शोरी की जीत हुई.
किसी राजनीतिक पार्टी ने चुनाव से पहले अपने प्रत्याशी की घोषणा की इसके कई राजनीतिक मायने है.जैसे चुनाव अधिसूचना से पहले प्रत्याशी हर पोलिंग बूथ तक पहुंच सकता है.साथ ही साथ ये भी पता लग जाएगा कि जो टिकट के दावेदार थे,कहीं वो पार्टी के खिलाफ तो काम नहीं कर रहे.ऐसे में प्रत्याशी को रणनीति तैयार करने में मदद मिलती है. बीजेपी ये पहला प्रयास छत्तीसगढ़ में हुआ है, जो बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है. -विजय पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार
बीजेपी के लिए नफा या नुकसान ? : जानकारों की माने तो बीजेपी ने भले ही ये सोचकर प्रत्याशी की घोषणा की है कि असंतुष्टों को मनाने में समय मिल जाएगा. लेकिन इस फैसले का दूसरा पहलू भी है. ज्यादातर कार्यकर्ता पार्टी के इस फैसले से ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं. क्योंकि जिन कार्यकर्ताओं ने पिछले पांच साल तक पार्टी के लिए जी तोड़ मेहनत करके झंडा को ऊंचा किए रखा, उनकी बात भी नहीं सुनी गई. क्योंकि हर बार बीजेपी कार्यकर्ता सम्मेलन और पर्यवेक्षकों के रायशुमारी के बाद प्रत्याशी चुनती थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में कई टिकट के दावेदारों में नाराजगी है. चुनाव से पहले इस नाराजगी को दूर करना बीजेपी के लिए एक चुनौती होगी.
कांग्रेस प्रत्याशी चुनने में नहीं कर रही देरी :अगले महीने कांग्रेस की इलेक्शन स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक है, जिसके बाद पहली सूची जारी की जाएगी. इस बैठक में हर विधानसभा से संभावित उम्मीदवारों की सूची आलाकमान तक पहुंच चुकी होगी. बैठक में हर एक सीट, प्रत्याशी के जीत के परसेंटेज के साथ जातिगत फॉर्मूले पर मंथन होगा. इसके आधार पर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीद्वारों का ऐलान करेगी. वरिष्ठ पत्रकार विजय पाण्डेय की माने तो कांकेर में मौजूदा विधायक शिशुपाल सोरी, पूर्व विधायक शंकर धुर्वा तो दावेदार के नाम में शामिल है हीं. साथ ही साथ कृषि अधिकारी से त्यागपत्र देकर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले सरजू सोरी का भी नाम सामने आ रहा है.
साल 2018 के चुनाव परिणाम : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में कांकेर विधानसभा में 95 फीसदी वोटिंग हुई. 2018 के चुनाव में कांग्रेस के शिशुपाल शोरी को 69 हजार 53 वोट मिले थे. जिनका वोट प्रतिशत 51 फीसदी था. वहीं बीजेपी के हीरा मरकाम को 49 हजार 249 वोट मिले. वोट प्रतिशत 37 फीसदी था. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हेमलाल मरकाम को 5 प्रतिशत, बीएसपी के रामसाय कोर्राम को 2 प्रतिशत वोट से संतुष्ट होना पड़ा था.
कांकेर विधानसभा का जातिगत समीकरण :कांकेर विधानसभा आदिवासीय बाहुल्य क्षेत्र है. यहां 70 फीसदी मतदाता आदिवासी जनजाति वर्ग से आते हैं. 4 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 15 फीसदी मतदाता पिछड़े वर्ग और 10 फीसदी सामान्य वोटर हैं.जनजाति वर्ग में भी गोंड समाज की बाहुल्यता है. दूसरे नंबर में हल्बा आदिवासियों का वोट है. यही कारण है कि इस बार बीजेपी ने आदिवासी वर्ग के आशाराम नेताम को अपना प्रत्याशी चुना है.