Chhattisgarh Election 2023: कांकेर विधानसभा सीट पर आदिवासी समाज का दबदबा, बीजेपी ने आशाराम तो कांग्रेस ने शंकर धुर्वा पर किया भरोसा - Kanker
Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव है. ईटीवी भारत छत्तीसगढ़ विधानसभा की हर सीट की जानकारी दे रहा है. आइए नजर डालते हैं बस्तर का प्रवेश द्वारा कहलाने वाला कांकेर विधानसभा सीट पर. इस विधानसभा सीट पर गोंड जाति का दबदबा है. ये सीट आदिवासी बाहुल्य है. यहां बीजेपी ने आसाराम नेताम को अपना प्रत्याशी बनाया है. तो वहीं कांग्रेस ने वर्तमान विधायक शिशुपाल शोरी का टिकट काटकर शंकर धुर्वा को प्रत्याशी बनाया है.
कांकेर विधानसभा सीट
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Published : Apr 23, 2023, 11:57 AM IST
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Updated : Nov 19, 2023, 7:42 PM IST
कांकेर:बस्तर का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला उत्तर बस्तर कांकेर पहले पुराने बस्तर का हिस्सा हुआ करता था. साल 1998 में कांकेर को एक जिला बना दिया गया. कांकेर जिले में कुल 3 विधानसभा सीटें है. जिसमें कांकेर, भानुप्रतापपुर और अंतागढ़ विधानसभा शामिल है. कांकेर जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यही कारण है कि इस जिले के तीनों विधानसभा सीटों पर आदिवासी वर्गों का दबदबा है. वर्तमान में शिशुपाल शोरी यहां के विधायक हैं. बीजेपी ने आशाराम नेताम के इस सीट से टिकट दिया है. तो वहीं, विधायक शिशुपाल शोरी का टिकट यहां से काट दिया गया है. कांग्रेस ने इस सीट पर शंकर धुर्वा को टिकट दिया है.
2023 में बीजेपी कांग्रेस के उम्मीदवार:कांकेर विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनो ने अपने प्रत्याशी हदल दिये हैं. कांग्रेस ने कांकेर से शंकर धुर्वा को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने आशाराम नेताम को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने शिशुपाल सोरी को टिकट दिया था. लोेकिन इस लास उनका टिकट कांग्रेस ने काट दिया. वहीं बीजेपी ने 2018 में हीरा मरकाम को टिकट दिया था, उनका टिकट भी बीजेपी ने काटा हैं.
कांकेर विधानसभा सीट को जानिए: कांकेर विधानसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है. यहां तकरीबन 70 फीसद आदिवासी वर्ग के मतदाता हैं. जबकि 4 फीसद अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता हैं. 15 फीसद मतदाता पिछड़े वर्ग के है. 10 फीसदी सामान्य वोटर हैं. इस क्षेत्र में साक्षरता दर 72 फीसद है. साल 2018 में हुई वोटिंग दर 51 फीसद थी. आदिवासी वर्ग में भी गोंड जाति की अधिकता होने के कारण पार्टियों के प्रत्याशी भी अक्सर गोंड समुदाय से ही आते हैं. यही कारण है कि बीजेपी ने इस बार गोंड जाति से आशाराम नेताम पर भरोसा जताया है.
जानिए कौन हैं आशाराम नेताम:बीजेपी ने इस बार आशाराम नेताम को कांकेर विधानसभा सीट से टिकट दिया है. आशाराम नेताम कांकेर के बेवरती गांव के रहने वाले हैं. साल 1998 में भाजपा में प्राथमिक सदस्यता लेने के बाद ग्रामीण मंडल मंत्री के पद पर 10 साल उन्होंने काम किया. साल 2010 में आशाराम को महामंत्री ग्रामीण का पद मिला. साल 2014 में मंडल अध्यक्ष बने फिर साल 2015 में जनपद सदस्य पद में निर्विरोध चुनाव जीते. साथ ही साल 2016 में तुलसी मानस प्रतिष्ठान ब्लॉक के अध्यक्ष रहे. साल 2020 में आशाराम कांकेर से अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष बने. फिलहाल कांकेर के गोंड आदिवासी समाज में सलाहकार के तौर पर आशाराम निर्वाचित हैं.
जानिए कौन हैं शंकर धुर्वा:साल 2003 में बीजेपी के शासनकाल में कांकेर सीट पर शंकर धुर्वा ने जीत दर्ज किया था. इसके बाद से लगातार वह कांग्रेस के आला नेताओं की नजर में बने हुए थे. साल 2018 में उन्हें टिकट नहीं मिली. लेकिन वह जनता से संपर्क साधते रहे. इस बार फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनपर भरोसा जताया है.
वर्तमान विधायक शिशुपाल सोरी के बारे में जानिए:कांकेर विधानसभा सीट पर वर्तमान में शिशुपाल सोरी विधायक हैं. शिशुपाल शोरी का जन्म 8 अगस्त 1954 को कांकेर जिला मुख्यालय के पास ग्राम पंचायत डुमाली में हुआ था. शिशुपाल ने साल 1983 में उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद राज्य सेवा आयोग परीक्षा पास कर प्रशासनिक सेवा में आए. साल 2007 में दंतेवाड़ा के कलेक्टर बनाए गए. वहीं, साल 2013 में शिशुपाल ने आईएएस की नौकरी छोड़ दी और कांग्रेस का दामन थाम राजनीति में आ गए. साल 2018 में कांग्रेस ने कांकेर विधानसभा सीट से शिशुपाल को टिकट दिया. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में शिशुपाल सोरी ने कांकेर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की.
कांकेर विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या :कांकेर विधानसभा सीट में 1 लाख 82 हजार 315 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 87195 है, जबकि महिला मतदाता 95118 है. वहीं, थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 2 है. पूरे विधानसभा में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. महिला मतदाता इस सीट पर चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाती आ रही है.
क्या हैं मुद्दे और समस्याएं:इस सीट पर आदिवासी वर्ग से जुड़ी समस्याएं मूल मुद्दा रही है. कांकेर विधानसभा के कई गांव अभी भी दूर्गम क्षेत्र में है. जिसके कारण पहुंचविहीन हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की जरूरत है. लोग आज भी झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. यहां पेयजल की समस्या ज्यादा है. यहां आज भी सुदूर अंचल के स्कूलों में शिक्षकों की कमी देखी जाती है. स्कूलें जर्जर है. स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्र तो बनाए गए हैं, लेकिन सुविधाओं का आभाव है. पर्यटन के क्षेत्र में दुधावा जलाशय को तो निखारा गया, लेकिन कांकेर नगर का मुकुट कहलाने वाला गढ़िया पहाड़ पर आज भी काम नहीं हुआ है. यहां पर्यटन के दृष्टिकोण से काम नहीं हुआ है. नगर में पेयजल जैसी समस्यओं से लोग जूझ रहे हैं.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में कांकेर विधानसभा में 100 फीसद वोटिंग हुई. 2018 के चुनाव में कांग्रेस के शिशुपाल शोरी को 69053 वोट मिले थे, जिसका वोट प्रतिशत 51 फीसदी था. बीजेपी के हीरा मरकाम को 49249 वोट मिले. वोट प्रतिशत 37 फीसदी था. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हेमलाल मरकाम को 5 प्रतिशत, बीएसपी के रामसाय कोर्राम को 2 प्रतिशत, आप आदमी पार्टी के बीसल ध्रुव को 2 प्रतिशत, आईएनडी के दीपक कुमार उसेंडी को 2 प्रतिशत वोट मिल थे. 2 प्रतिशत वोट नोटा के भी पड़े थे.
कौन तय करता है हार और जीत: कांकेर विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य होने के कारण यहां आदिवासी वोटरों का दबदबा है. यहां जीत और हार आदिवासी वोटर ही तय करते हैं. इस सीट का अधिकतर हिस्सा पहुंचविहीन होने के कारण यहां के लोग आंदोलन अधिक करते हैं. कांकेर विधानसभा सीट को आंदोलन का गढ़ भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के बड़े आंदोलन यहीं से फलते-फूलते हैं. चाहे राम वन गमन पथ को लेकर विरोध हो, आदिवासियों का जन आंदोलन हो या पेसा कानून लागू करने का आंदोलन. आदिवासियों का आंदोलन यहीं से शुरू होता है. इस सीट पर आदिवासियों का दबदबा साफ तौर पर देखा जाता है.