कांकेर:छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जा रही है. इसे लेकर उपार्जन केंद्रों पर सारी तैयारियां कर ली गई है. उपार्जन केंद्रों और आदिमजाति सहकारी समिति के कार्यालय में लगे बैनर पर धान का समर्थन मूल्य 1835 पतला धान और 1815 रुपये प्रति क्विंटल मोटा धान लिखा है, वहीं बोनस अंक की जगह खाली है, जिससे किसानों के बीच असमंजस की स्थिति बनी है और वे नाराज हो रहे हैं.
किसानों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में खेती किसानी में उपयोग होने वाली सभी सामान महंगे हो गए हैं, जैसे खाद, बीज सिंचाई के सभी उपकरण महंगे होने के कारण प्रति एकड़ 20 हजार रुपये तक का खर्चा आता है. वहीं राज्य सरकार की ओर से प्रति क्विंटल 2500 रुपये देने की घोषणा के बाद 1835 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ही धान खरीदी की जा रही है. जिससे किसानों को कोई फायदा नहीं होने जा रहा है. कई किसानों को इस समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति पखांजुर के शाखा प्रबंधक शंत राम बर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने हमें 1815 रुपये मोटा धान 1835 रुपये पतला धान और मक्का 1760 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदी करने का आदेश दिया है. साथ ही बोनस राशि की कोई जानकारी अभी तक नहीं दी है.
पखांजुर के भाजपा मंडल अध्यक्ष श्यामल मंडल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा किसान विरोधी नीतियां चलाती आई है. कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में धान खरीदी समर्थन मूल्य 2500 रुपये करने का वादा किसानों से किया था, लेकिन आज 1835 रुपये की समर्थन मूल्य पर किसानों की मेहनत की फसल खरीदी कर रहे हैं. जिससे किसानों को 665 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है. श्यामल ने कहा कि किसानों की धान अगर 2500 रुपये की दर नहीं खरीदी जाएगी तो भाजपा विरोध प्रदर्शन करेगी.
युवक कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष राजदीप हालदार ने समर्थन मूल्य से धान खरीदी के मामले में कहा कि किसानों को बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है. भाजपा नेता अफवाह फैलाने में माहिर होते हैं. किसान हितैषी भूपेश बघेल की सरकार किसानों की मेहनत की फसल धान का मूल्य 2500 रुपये ही देगी.