कांकेर:छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बचे हैं. इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है. कांकेर जिले की अंतागढ़ विधानसभा सीट इन दिनों चर्चा में है. कांग्रेस ने अनूप नाग का टिकट काटकर नए चेहरे रूपसिंह पोटाई को मौका दिया है. जिसके बाद विधायक अनूप नाग अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत पर उतर आए हैं. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने इस सीट पर विक्रम सिंह उसेंडी को टिकट दिया है.
अंतागढ़ में पंखाजुर इलाका है मेन वोट बैंक:अनूप नाग के बागी होने से अंतागढ़ विधानसभा में बीजेपी को कितना फायदा मिलेगा और कांग्रेस को कितना नुकसान होगा? इसे जानने के लिए आइए एक नजर डालते हैं पिछले चुनावी समीकरण पर. अगर अंतागढ़ क्षेत्र पर हम फोकस करते हैं तो क्षेत्र में पड़ने वाला पखांजुर को अंतागढ़ क्षेत्र का मेन वोट बैंक कहा जाता है. क्योंकि अन्तागढ़ विधानसभा में होने वाले मतदान में एक तिहाई मतदान पखांजुर इलाके से होता है. पखांजुर इलाके के मतदाताओं की मांग रही है कि विधायक पखांजुर इलाके से हो. ताकि क्षेत्रीय मुद्दों को गंभीरता से समझे और समस्याओं का निपटान करें.इस बार भी यहां के लोग लोकल विधायक ही चाहते हैं.
बिगड़ सकता है कांग्रेस का चुनावी समीकरण:इस बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेश हालदार से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "अंतागढ़ विधानसभा में पिछले 15 सालों से भाजपा का दबदबा था. हालांकि साल 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी अनूप नाग ने यहां से जीत हासिल की थी. उस समय अनूप नाग परलकोट क्षेत्र के लिए एक नया नाम और चेहरा थे. फिर भी उन्होंने विक्रम सिंह उसेंडी को यहां से परास्त किया था. विधायक बनने के बाद से ही अनूप नाग हमेशा क्षेत्र का दौरा करते रहे. लोगों से संपर्क साधते रहे. यही कारण है कि क्षेत्र में उनकी अच्छी खासी पहचान है. 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए लोग उन्हें विधायक के रूप में कांग्रेस से टिकट के प्रबल दावेदार मान रहे थे. हालांकि कांग्रेस ने अंत में नए चेहरे रूप सिंह पोटाई को टिकट दे दिया. इससे अनूप नाग के समर्थक नाराज चल रहे हैं. अनूप नाग अब अंतागढ़ विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. अनूप नाग यदि चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के वोट बैंक पर इसका खासा असर पड़ सकता हैं. क्योंकि अनूप नाग ने पिछले 5 सालों में क्षेत्र में लगातार लोगों के बीच बने रहे.इतना ही नहीं कोरोना काल में भी इन्होंने क्षेत्र में काफी काम किया है.अनूप नाग का निर्दलीय चुनाव लड़ना कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगाड़ सकता है."