कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में 68 ग्राम पंचायत के 103 गांवों के हजारों ग्रामीण हैं. इन गांवों के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. धरने का आज तीसरा दिन है. कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप को ग्रामीण देवस्थल बता रहे हैं. उन्होंने ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कैंप खोले जाने का आरोप लगाया है.
दरअसल शासन जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है. इसके तहत 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं. जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल हैं. बीएसएफ कैंप खुले अभी महज 15 दिन ही हुए हैं और ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.
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कैंप की जरूरत नहीं: ग्रामीण
एसटी, एससी, ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरने पर राशन-पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर डटे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक कैंप नहीं हटाया जाएगा, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. ग्रामीण सहदेव उसेंडी का कहना है कि हमें कैंप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस जगह कैंप खोला गया है, वो उनका देवस्थल है, जहां उनके देवी-देवता निवास करते हैं. उनका कहना है कि कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप से उनके समाज के लोगों की आस्था पर असर पड़ रहा है. ग्रामीणों की मांग है कि यहां से बीएसएफ कैंप हटाया जाए.
उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की साजिश : ग्रामीण