कवर्धा: जिले की आदिवासी-बैगा बाहुल्य बोडला विकासखंड के सुदूर और वनांचल क्षेत्र की महिलाओं ने एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जंग जीत ली है. वनांचल और गांव में रहने वाली पार्वती, सरोज, लक्ष्मी, और प्रियंकेष ने एनीमिया को हराने के लिए संतुलित और प्रोटिन, विटामिन और वसा से परिपूर्ण सुपोषण आहार को अपनाया. गांव की यह महिलाएं महज एक माह में ही एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को पीछे छोड़कर आज अच्छे स्वास्थ्य के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही है.
एनीमिया से महिलाएं जीत रही जंग 'मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान बना वरदान'
कवर्धा में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से बच्चों को मिल रहा न्यूट्रिशन ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि सही समय में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का सहारा मिलने से वह अपने परिवार के बीच एक खुशहाल और आंनद की जिंदगी जी रही है. महिलाओं ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान उनके जीवन में ढाल बन कर उनको सुरक्षा दे रहा है.
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छत्तीसगढ़ को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त बनाना उद्देश्य
दरअसल छत्तीसगढ़ को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त प्रदेश बनाने के लिए 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. इस योजना में शून्य से 5 वर्ष के कुपोषित, एनीमिक बच्चे और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिक महिलाओं को कुपोषण व एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया. वजन त्यौहार के आधार पर जिले में 19.56 प्रतिशत बच्चे कुपोषित निकले.
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के शुरूआत होने के महज 11 माह के अंदर ही इस योजना का सुखद असर देखने को मिल रहा है.कुपोषित महिलाओं और बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत नाम दर्ज किया गया और उन्हें योजना की जानकारी दी गई. इसके बाद आंगनबाड़ी केन्द्र में उन्हें हर रोज खाने के लिए बुलाया गया. हर रोज उन्हें खाने में दाल, चावल, रसेदार सब्जी, हरी सब्जी, अचार, पापड़, सलाद दिया गया. इसके साथ ही पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा दिवस पर प्रतिमाह नियमित जांच व परामर्श और आयरन फोलिक एसिड की गोलियां खाने के लिए दी गई.