कवर्धा:वनांचल के साथ-साथ मैदानी इलाकों के सौकड़ों गांव इन दिनों भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं. जिले के वाटर लेवल के पिछले वर्ष के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो पिछले साल वॉटर लेबल 25 से 28 मीटर था जो इस साल घटकर 35 मीटर तक जा चुका है.
तेजी से नीचे जा रहा वॉटर लेवल
आंकड़ों के मुताबिक जिले में दिन ब दिन वॉटर लेवल नीचे जा रहा है. ऐसे में जिले में फैले जलसंकट में सुधार गुंजाइश बहुत कम नजर आ रही है. कवर्धा जिला प्रदेश में गन्ने की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन इन दिनों जिले के सैकड़ों गांव भीषण जलसंकट के स्तिथि से गुजर रहे है.
'गन्ने की खेती की वजह से गिर रहा जलस्तर'
पीएचई के अधिकारी का कहना है कि 'जिले मे गन्ने कि खेती की वजह से जलस्तर प्रतिवर्ष गिरता जा रहा है'. आपको बता दें कि जिले में प्रचुर मात्रा में गन्ना की खेती के नाम से दो शक्कर कारखाने भी स्थापित किए गए हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2018 में जिले का औसत जलस्तर 25 से 28 मीटर था ,जो छह महीने में घटकर 35 मीटर तक पहुंच चुका है.
बोलवेल खनन प्रमुख वजह
कवर्धा जिले के जलस्तर मे आई तेजी से गिरावट का कारण सिर्फ और सिर्फ गन्ने की खेती नहीं है. इसका एक कारण बोरवेल खनन पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने को भी माना जाता है. पिछली बीजेपी सरकार ने कवर्धा जिले में गिरते जलस्तर को ध्यान में रखते हुए जिले में बोरवेल खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था.