छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

कवर्धा: दिन ब दिन नीचे जा रहा जलस्तर, ये है प्रमुख वजह - नीचे गिरता जलस्तर

कवर्धा में जलस्तर दिन ब दिन नीचे जा रहा है. इसके पीछे की वजह इलाके में गन्ने की खेती और धड़ल्ले से हो रहे बोरवेल का खनन बताई जा रही है.

डिजाइन इमेज

By

Published : Jun 6, 2019, 5:45 PM IST

Updated : Jun 6, 2019, 5:59 PM IST

कवर्धा:वनांचल के साथ-साथ मैदानी इलाकों के सौकड़ों गांव इन दिनों भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं. जिले के वाटर लेवल के पिछले वर्ष के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो पिछले साल वॉटर लेबल 25 से 28 मीटर था जो इस साल घटकर 35 मीटर तक जा चुका है.

कवर्धा में पानी की किल्लत


तेजी से नीचे जा रहा वॉटर लेवल
आंकड़ों के मुताबिक जिले में दिन ब दिन वॉटर लेवल नीचे जा रहा है. ऐसे में जिले में फैले जलसंकट में सुधार गुंजाइश बहुत कम नजर आ रही है. कवर्धा जिला प्रदेश में गन्ने की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन इन दिनों जिले के सैकड़ों गांव भीषण जलसंकट के स्तिथि से गुजर रहे है.


'गन्ने की खेती की वजह से गिर रहा जलस्तर'
पीएचई के अधिकारी का कहना है कि 'जिले मे गन्ने कि खेती की वजह से जलस्तर प्रतिवर्ष गिरता जा रहा है'. आपको बता दें कि जिले में प्रचुर मात्रा में गन्ना की खेती के नाम से दो शक्कर कारखाने भी स्थापित किए गए हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2018 में जिले का औसत जलस्तर 25 से 28 मीटर था ,जो छह महीने में घटकर 35 मीटर तक पहुंच चुका है.


बोलवेल खनन प्रमुख वजह
कवर्धा जिले के जलस्तर मे आई तेजी से गिरावट का कारण सिर्फ और सिर्फ गन्ने की खेती नहीं है. इसका एक कारण बोरवेल खनन पर लगे प्रतिबंध को हटाए जाने को भी माना जाता है. पिछली बीजेपी सरकार ने कवर्धा जिले में गिरते जलस्तर को ध्यान में रखते हुए जिले में बोरवेल खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था.


कांग्रेस ने हटाया प्रतिबंध
सूबे में कांग्रेस की सरकार बनते ही दिसंबर 2018 में जिले में बोरवेल खनन पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था. इसका नतीजा यह हुआ कि दिसंबर 2018 से लेकर अब तक जिले में धड़ल्ले से हजारों बोरवेल खोदे गए और यही कारण है कि जिले का जलस्तर तेजी से गिर रहा है.


PHE विभाग का ये है मानना
पीएचई विभाग के अधिकारी भी इस बात से इंकार नहीं कर रहे कि धड़ल्ले से हो रहे बोरवेल खनन और गन्ने की बम्पर खेती के नाम से इस प्रकार की हालात बने हैं. जिले के किसानों का भी यही मानना है कि, भारी संख्या में बोरखनन के कारण ही पानी की किल्लत के हालत बने हैं.


सूखे जल के स्त्रोत
जिले के सैकड़ों बोर, हैंडपंप, कुआं, नदी और नाले सहित जल के तमाम स्त्रोत सूख चुके हैं और अब किसान बोरखनन पर दोबारा प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.


बिगड़ सकते हैं हालात
भीषण जलसंकट और गिरते जलस्तर पर अगर समय रहते विचार नहीं किया गया तो जिले के हालात और भी खराब हो सकते हैं. अब देखना होगा कि बोरखनन पर कब तक प्रतिबंध लगाया जाता है और गन्ने की खेती का दायरा तय किया जाता है या नहीं.

Last Updated : Jun 6, 2019, 5:59 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details