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Ragging in Kawardha hostel: कवर्धा के हॉस्टल में रैगिंग पर कार्रवाई, अधीक्षक सस्पेंड, प्रिंसिपल पर कार्रवाई

कवर्धा के एकलव्य हॉस्टल में रैगिंग का मामला सामने आया है. जूनियर छात्रों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद हॉस्टल के अधीक्षक को देर रात सस्पेंड कर दिया गया जबकि प्रिंसिपल को शोकॉज नोटिस जारी किया गया.

Ragging in Kawardha hostel
कवर्धा के हॉस्टल में रैगिंग

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Published : Mar 15, 2023, 12:58 PM IST

कवर्धा कलेक्टर जन्मेजय महोबे

कवर्धा:कवर्धा के तरेगांव में एकलव्य आदर्श छात्रावास में छात्रों के साथ मारपीट और रैगिंग का वीडियो वायरल हुआ है. इसके बाद हॉस्टल में कार्रवाई का सिलसिला जारी है. कलेक्टर के निर्देश पर आदिम जाति विभाग प्रभारी आयुक्त मोनिका सिंह कौडो ने कार्रवाई की. सबसे पहले कौडो ने हॉस्टल के अधीक्षक मालिक राम मरकाम को संस्थान से हटाया. उसके बाद प्रिंसिपल को शो कॉज नोटिस भेज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है.

ये है पूरा मामला:घटना 14 मार्च की देर शाम की है. कवर्धा जिले के बोड़ला विकासखंड अंतर्गत आदिम जाति विभाग द्वारा संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय छात्रावास में सीनियर छात्र जूनियर छात्रों को मार रहे थे. इतना ही नहीं सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्रों का जबरन बाल भी काटा. इसका वीडियो बनाकर छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. हॉस्टल का ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

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कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश: इसमामले की जानकारी मिलने के बाद कवर्धा कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने संज्ञान लिया. आदिम जाति विभाग आयुक्त मोनिका कौडो, कवर्धा एसडीएम पीसी कोरी, बोड़ला एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार की संयुक्त टीम बनाकर मंगलवार रात 10 बजे जांच के लिए तरेगांव एकलव्य हॉस्टल भेजा. छात्रों से पूछताछ की गई. जांच टीम ने कलेक्टर को इस मामले की रिपोर्ट सौंपी.

आधी रात को कलेक्टर के निर्देश पर एकलव्य हॉस्टल के अधीक्षक मालिक राम मरकर को संस्थान से हटा दिया गया. हॉस्टल के प्रिंसिपल को शोकाज नोटिस जारी किया गया. फिलहाल आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक प्रहलाद पात्रे को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.

हॉस्टल से गायब रहते हैं अधीक्षक: कवर्धा जिला में तकरीबन 126 आदिवासी बालक और बालिका छात्रावास हॉस्टल संचालित हैं. इनमें लगभग दस हजार से अधिक छात्र छात्राएं रहते हैं. इनकी जिम्मेदारी हॉस्टल अधीक्षक के भरोसे रहती है. इसके लिए सरकार इन्हें मोटी सेलरी देती है. लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि अधीक्षक अक्सर हॉस्टल से गायब रहते हैं.

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