कवर्धा: छत्तीसगढ़ अपना 21वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले का कुछ हिस्सा मध्यप्रदेश से कागजों में तो जरुर अलग है लेकिन लोगों के दिलों से अलग नहीं हुआ है. दरअसल छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला मध्यप्रदेश से सटे होने के कारण सरहद पर रहने वाले छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासी आज भी मध्यप्रदेश से ही लगाव रखते हैं और उनका दिनचर्या मध्यप्रदेश से ही शूरू होकर मध्यप्रदेश में खत्म हो जाता है, लेकिन मतदान छत्तीसगढ़ को ही करते हैं.
कवर्धा में बेहद शांतिपूर्ण और आकर्षक हैं स्थल
कबीरधाम जिला मैकल पर्वत (Makal Mountain) से घिरा सकरी नदी के दक्षिणी हिस्से में बसा एक बेहद शांतिपूर्ण और आकर्षक स्थान है. कबीरधाम जिले में पर्यटन के अनेकों स्थान जैसे- चिल्फी, सरोधा, रानीदहरा, सरोधादादर, पीड़ाघाट व अन्य लेकिन इन सब में खास है. मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के खजुराहों के नाम से प्रसिद्ध एतिहासिक भोरमदेव मंदिर (Famous Historical Bhoramdev Temple) जिसे 11वीं शताब्दी मे नागवंशी राजाओं द्वारा बनाया गया था. मंदिर की दिवारों पर पत्थर से उकेर कर बनाई गकी कला आकृति लोगों का मन मोह लेती है. इस मंदिर को देखाने के लिए लोग देश विदेश से आते हैं.
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संपदा को सजोने में नाकाम रही बीजेपी सरकार
वैसे तो कवर्धा में अनेकों पर्यटन स्थल है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और शासन की अनदेखी की मार झेल रहे कबीरधाम जिले को अब तक सही पहचान नहीं मिल पाई है. छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद सबसे पहले निर्वाचित प्रथम वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह (then Chief Minister Raman Singh) ,कवर्धा के होने के बावजूद 15 सालों में कवर्धा को कोई पहचान नहीं दिला पाए. बल्कि कवर्धा को कुदरत के दिए तोफे जैसे- झरना, पहाड़ और बहुत से प्रकृतिक खुबसूरत स्थानों को भी सहज के रखने में नाकम रहे. इसके अलावा जिले में ना कोई उद्योग खुला, ना ही रोजगार का कोई व्यवस्था हुई. कवर्धा में दो शक्कर कारखाना (sugar factory) है लेकिन वहां पर भी बहरी लोगों को रोजगार दिया गया है. स्थानीय लोग आज भी भटक रहे हैं.
कबीरधाम में की जाती है गन्ने की बड़ी मात्रा में खेती
कबीरधाम जिले के मैदानी क्षेत्र में ज्यादातर धान और खन्ना की खेती की जाती है. इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कवर्धा जिले में 02 शक्कर कारखाना खुले हैं. छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद अजीत जोगी (Ajit Jogi) की सरकार में छत्तीसगढ़ का प्रथम शक्कर कारखाना कवर्धा के राम्हेपुर गांव बनाया गया था. फिर भाजपा के सरकार में पंडरिया विकासखंड के बिसेसरा गांव (Bisesara village of Pandariya block) में दूसरा शक्कर कारखाना खुला गया था. इससे किसानों को कम मेहनत और लागत में अच्छी आमदनी हो रही है.