कवर्धा:शारदीय नवरात्र का पर्व चल रहा है. कवर्धा में देवी मां का ऐसा मंदिर है, जहां मां साक्षात विराजमान हैं. इन मंदिरों से जुड़ी कई परम्पराएं भी हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में सालों से अष्टमी की मध्यरात्रि को खप्पर निकालने की परम्परा निभाई जाती है. शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि के मध्य रात्रि को मंदिरों से देवी मां खप्पर के रूप में बाहर निकलती हैं. हजारों श्रद्धालु इस दौरान माता का आशीर्वाद लेन पहुंचते हैं.
सालों से निभाई जा रही ये परम्परा: कवर्धा में सालों से खप्पर निकालने की परंपरा जारी है. नवरात्रि में अष्टमी की आधी रात को नगर के चंडी, परमेश्वरी और दंतेश्वरी देवी के मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. इस खप्पर के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं. इस दौरान पुलिस और प्रशासन की टीम जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाकर सुरक्षा के लिए तैनात रहती है. ताकि कोई भगदड़ ना हो और श्रद्धालु शांति से खप्पर के दर्शन कर सकें.
150 वर्षों से चली आ रही परम्परा:कवर्धा में खप्पर निकालने की परंपरा पिछले 150 सालों से चली आ रही है. नवरात्रि के अष्टमी की रात 12 बजे एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में जलता हुआ आग का खप्पर (जिसे देवी का रूप माना जाता है) लेकर पुजारी निकलते हैं. नगर भ्रमण के बाद मंदिर में जाकर देवी मां शांत हो जाती है. खप्पर के निकलने वाले रास्ते पर अंधेरे में खड़े होकर लोग देवी का दर्शन करते हैं.