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Bhojali Festival Celebrated In Kawardha: कवर्धा में धूमधाम से मनाई गई भोजली पर्व, अच्छी सेहत के लिए पूजी जाती हैं भोजमी माता

Bhojali Festival Celebrated In Kawardha कवर्धा में भोजली पर्व धूमधाम से मनाई गई. पिछले 7 दिनों से ग्रामीण क्षेत्रों में हर दिन भोजली माता की पूजा की गई. गुरुवार को विसर्जन के साथ भोजली पर्व का समापन हुआ. ये पर्व अच्छी सेहत की कामना से किया जाता है.

Bhojali Festival
भोजली पर्व

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 31, 2023, 11:05 PM IST

कवर्धा में धूमधाम से मनाई गई भोजली पर्व

कवर्धा:पूरे छत्तीसगढ़ में भोजली पर्व मनाया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नदी किनारे जाकर भोजली माता की पूजा करते नजर आ रहे हैं. कवर्धा के पंडरिया में भी भोजली पर्व मनाया गया. छत्तीसगढ़ का यह लोकपर्व रक्षाबंधन के दूसरे दिन यानी कि कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. दरअसल, भोजली को सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को घर में टोकरी में उगाने के लिए गेहूं के दाने को भिगोकर फिर बोया जाता है. सात दिन तक विधि-विधान से इसकी पूजा-अर्चना की जाती है.

ये है भोजली के नियम:मान्यता है कि भोजली का अच्छा होना अच्छे फसल का संदेश भी माना जाता है. भोजली बोने के लिए सबसे पहले कुम्हार के घर से खाद-मिट्टी लाई जाती है. खाद-मिट्टी कुम्हार की ओर पकाए जाने वाले मटके और दीए से बचे “राख” को कहा जाता है. भोजली पर्व का यह नियम है कि खाद-मिट्टी कुम्हार के घर से ही लाया जाता है. इसके बाद महतो के घर से चुरकी और टुकनी (टोकरी) लाई जाती है. महतो गांव या समाज के सबसे बुढ़ा और सम्मानित व्यक्ति होते हैं, जो कि गोंड समुदाय से होते हैं. टोकरी में उगाने के लिए गेहूं के दाने को भिगोकर बोया जाता है. पांच दिनों में ही गेहूं से पौधे (भोजली) निकलकर बड़े हो जाते हैं. सात दिन तक विधि-विधान के साथ पूजा- अर्चना कर खूब सेवा की जाती है. आखिरी दिन शाम को इसे विसर्जित किया जाता है.

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अच्छे सेहत के लिए होती है पूजा: पंडरिया ब्लॉक में भी गुरुवार को भोजली माता की पूजा-अर्चना की गई. ग्रामीण एक जगह एकत्रित होकर सिर पर भोजली की टोकरी रखकर गीत-गाते,टोली के साथ गांवो के मंदिरों में पहुंचते हैं. फिर चौक-चौराहों से होते हुए गांव के नदी या फिर तालाबों के किनारे पहुंचते हैं. यहां भोजली माता का विधि-विधान से विसर्जन किया जाता है. विसर्जन के बाद एक दूसरे को भोजली देकर मितान बनाने की भी परंपरा निभाई जाती है. मान्यता है कि भोजली पर्व में पौधे की पूजा अच्छे सेहत के लिए की जाती है.

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