Kawardha Assembly Seat: कांग्रेस के अकबर भाई के खिलाफ बसपा का अकबर भाई मैदान में, वोटर्स में कन्फ्यूजन - प्रत्याशियों की सूची प्रकाशित
Kawardha Assembly Seat छत्तीसगढ़ के कवर्धा विधानसभा सीट पर एक ही नाम के दो प्रत्याशी मैदान में हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब चुनाव आयोग द्वारा प्रत्याशियों की सूची प्रकाशित की गई. इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मो अकबर को हराने के लिए बसपा ने भी अकबर भाई नाम का दूसरा प्रत्याशी मैदान में उतारा है. आएये जानते हैं हम नाम के पैतरे से कांग्रेस को कितना नुकसान हो सकता है... Chhattisgarh Election 2023
कवर्धा: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में पहले चरण का मतदान 7 नवंबर को होना हैं. पहले चरण की 20 सीटों पर नामांकन, जांच और नाम वापसी की प्रक्रिया के बाद बाकी बचे प्रत्याशियों की सूची प्रकाशित हो गई है. प्रत्याशियों की सूची सामने आने के बाद कवर्धा सीट से एक ही नाम के दो उम्मीदवारों का खुलासा हुआ है.
इस सीट पर एक ही नाम के दो प्रत्याशी: छत्तीसगढ़ में पहले चरण की 20 विधानसभा सीटों में वोटिंग होनी है. लेकिन कवर्धा विधानसभा सीट पर एक ही नाम के दो प्रत्याशी मैदान में हैं. कवर्धा से कांग्रेस पार्टी ने अकबर भाई को प्रत्याशी बनाया है, जो भूपेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री है और पिछली बार इसी सीट से जीते थे. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने जिसे अपना प्रत्याशी बनाया है, उसका नाम भी अकबर भाई ही है. अब कांग्रेस और बसपा के अकबर भाई आमने सामने हैं.
यह भी संयोग देखा जा रहा है कि दोनों राष्ट्रीय दल के प्रत्याशियों का नाम ईवीएम मशीन में एक के बाद एक ऊपर-नीचे रहेगा. इसमें पहले स्थान पर बसपा वाले अकबर भाई का नाम है, जिसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस के अकबर भाई को जगह दी गई है.
मंत्री अकबर को हराने विरोधियों का चुनावी पैंतरा: दरअसल, कवर्धा विधानसभा सीट के विधायक और सरकार में मंत्री मोहम्मद अकबर की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. खासकर वनांचल में आदिवासियों के बीच मोहम्मद अकबर की अच्छी लोकप्रियता है. यही वजह है कि अन्य पार्टी के के लिए अकबर भाई सो जीतना बड़ा चैलेंज होता है. जिसके चलते राजनीतिक दल चुनाव जीतने तरह-तरह के पैंतरा आजमाते हैं. इस बार अकबर भाई के नाम से एक प्रत्याशी को बहुजन समाज पार्टी से प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा गया है.
हम नाम से कांग्रेस को कितना होगा नुकसान: पिछली बार भी कांग्रेस का वोट प्रभावित करने के प्रयास से इसी अकबर खान को निर्दलीय प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन उसका असर कांग्रेस के अकबर भाई को नहीं पड़ा. उन्होंने प्रदेश में सबसे अधिक मतों से जीत दर्ज की थी. इस बार विरोधी पार्टी ने नई तैयारी और बड़ा प्लान कर दूसरे अकबर को अकबर भाई के नाम से नामांकन फार्म दाखिल करवाया है. साथ ही राष्ट्रीय दल से चुनाव लड़ाने मैदान में उतारा है. अब देखना होगा कि एक ही नाम के दो व्यक्ति होने के चलते कांग्रेस को कितना नुकसान होता है या नहीं.