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टिड्डी से बचाएंगे 'डीजे वाले बाबू', कवर्धा जिला प्रशासन ने किया इंतजाम - डीजे

प्रदेश में टिड्डियों का दल कभी भी दस्तक दे सकता है. इसे लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. प्रशासन ने जिले को टिड्डियों के आतंक से बचाने के लिए डीजे तक का इंतजाम किया है.

DJ to control Locust swarn
टिड्डियों को भगाने डीजे की व्यवस्था

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Published : May 28, 2020, 5:15 PM IST

Updated : May 28, 2020, 7:46 PM IST

कवर्धा:छत्तीसगढ़ में टिड्डी के हमले को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. किसान कोरोना वायरस के संक्रमण, लॉकडाउन और बेमौसम बारिश की परेशानी से निकले भी नहीं हैं और टिड्डी के हमले का डर सताने लगा है. कवर्धा जिला प्रशासन ने टिड्डियों से बचाव के लिए अलग रास्ता निकाला है. इस मुसीबत से बचने के लिए प्रशासन ने डीजे की व्यवस्था की है.

टिड्डियों का टेरर

पाकिस्तान से आई ये आफत भारत में कोहराम मचा रही है. टिड्डियों के कई दल भारत के अलग-अलग राज्यों में दाखिल हो चुके हैं. वहीं केंद्रीय एकीकृत नाशी जीव प्रबंधन केंद्र रायपुर ने सूचना दी है कि टिड्डियों का तीसरा दल राजस्थान, मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र के अमरावती पहुंच चुका है. बताया जा रहा है कि 26 तारीख को टिड्डियों का दल भंडारा में था. जिनकी संख्या करोड़ों में है. अनुमान लगाया जा रहा है कि टिड्डियों का दल राजनांदगांव होते हुए छत्तीसगढ़ में दाखिल होकर कवर्धा जिले के सीमावर्ती ब्लॉक लोहारा में आ सकता है.

डीजे की व्यवस्था

प्रशासन ने की तैयारी

जानकारों की मानें तो अगर हवा का रुख कवर्धा की ओर रहा तो मध्यप्रदेश से ये टिड्डियां कवर्धा जिले में दाखिल हो सकती हैं और अगर ऐसा हुआ तो इसका खामियाजा बोड़ला या लोहारा ब्लॉक के किसानों को भुगतना पड़ सकता है. कृषि और उद्यानिकी विभाग अलर्ट पर है. टिड्डे अगर रात में जिले में दाखिल होते हैं तो उन्हें हटाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाएगा, इसके लिए फायर ब्रिगेड को भी तैयार कर लिया गया है. कृषि केंद्रों में भी कीटनाशक दवाओं का स्टॉक रखने को कहा है.

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डीजे की व्यवस्था

टिड्डियों का दल अगर दिन में आता है तो इसके लिए प्रशासन ने डीजे की व्यवस्था की है. इसके साथ ही टैक्टर के साइलेंसर को भी निकाल कर रखा गया है जिससे इसके शोर से टिड्डे खेतों में न बैठ पाएं. टिड्डी दल दिखाई देने पर किसानों को कंट्रोल रूम में सूचना देने को कहा गया है.

अभी बालाघाट में है दल

जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने टिड्डों को 70 प्रतिशत नष्ट करने में कामयाबी हासिल की है. जिला प्रशासन की मानें तो हवा के रुख के साथ उड़ने वाले ये टिड्डे हवा के बदलाव के कारण मध्यप्रदेश के तुमसर फिर बालाघाट की ओर आ गए हैं. इसके बाद टिड्डियों का ये दल किस दिशा में आगे बढ़ता है अभी इसकी कोई जानकारी नहीं है.

छत्तीसगढ़ में टिड्डी टेरर

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जानकर क्या कहते हैं-

  • एक दल में करोड़ों की संख्या में टिड्डे होते हैं.
  • ये कुछ ही मिनटों में कई एकड़ फसलों को चट कर सकते हैं.
  • ये टिड्डे रात में जहां भी रुकते हैं वहां ये अंडा देते हैं.
  • एक टिड्डी एक बार में 1 हजार से 1500 अंडे देती है.

जिले में गन्ने की खेती ज्यादा

बता दें कि जिले में फिलहाल गन्ना की खेती सबसे ज्यादा है. जिसे टिड्डे नुकसान पहुंचा सकते हैं. 21 हजार 218 हेक्टेयर में गन्ना की खेती की जा रहा है. वहीं कुछ जगहों पर केला, पपीते की फसल भी लगाई गई है.

Last Updated : May 28, 2020, 7:46 PM IST

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