कवर्धा : छत्तीसगढ़ सरकार ने कुपोषण को मिटाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया है.इसके लिए 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई. इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाएं, बच्चों को जन्म देने वाली माताएं और 6 साल तक के बच्चों को गरम पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया गया.बावजूद इसके सुदूर अंचलों में इस योजना का लाभ महिलाओं और बच्चों को नहीं मिल रहा था.उनमें से एक जिला कवर्धा भी था.जहां के सुदूर इलाकों में बसी आबादी तक सुपोषण योजना को पहुंचाना चुनौती पूर्ण था.यही वजह थी कि इन इलाकों में कुपोषण दर ज्यादा था.
कलेक्टर ने शुरु किया अभियान : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं एवं बच्चों के कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए कवर्धा कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने नए अभियान की शुरुआत की.11 अप्रैल 2023 से ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ अभियान की शुरुआत हुई.जिसके तहत मुख्यमंत्री सुपोषण योजना को विस्तारित किया गया. इसके अंतर्गत जिन जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र नहीं थे वहां की माताओं और बच्चों को पोषण देने का काम शुरु हुआ. जिसके बाद वनांचल क्षेत्रों के मजरा टोला और पारा में अभियान सफल रहा.
क्या है ‘ पुट बारो सेरी बाढ़न ’ का मतलब :कवर्धा जिले में आदिवासी बसाहट ज्यादा है.जो बैगानी बोली बोलते हैं.इसी बोली में अभियान का नाम पुट बारो सेरी बाढ़न रखा गया.जिसका हिंदी में मतलब स्वस्थ जच्चा,सुपोषित बच्चा है. जिले के 63 पारा टोला में अभियान शुरु हुआ. जहां सभी बच्चों को नियमित रूप से गरम पका भोजन मिल रहा है. इस कार्यक्रम से तरेगांव वन में 300, चिल्फी में 291, कुकदुर में 725 और बोडला में 278 हितग्राहियों को लाभ मिल रहा हैं. मौजूदा समय में अभियान में जुड़े हितग्राहियों की कुल संख्या 1594 हो गई है.
पौष्टिक भोजन में किन चीजों को किया गया शामिल :‘पुट बारो सेरी बाढ़न’ कार्यक्रम ’मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ से एक कदम आगे की सोच कहा जा सकता है. जिसमें गरम पौष्टिक भोजन बांटना अनिवार्य किया गया है. अभियान के तहत रोटी, चावल, मिश्रित दाल, हरी सब्जियां, खीर, पूड़ी, गुड़ और भुनी हुई मूंगफली को शामिल करके मेनू बनाया गया है.