कवर्धा: छत्तीसगढ़ का मित्रता दिवस कहा जाने वाला भोजली त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान क्षेत्र के लोगों ने एक-दूसरे के कानों में भोजली लगाकर जीवनभर दोस्ती निभाने का वचन लिया.
अनूठी है भोजली की परंपरा
एक ओर जहां पूरे देश में फ्रैंडशिप डे पर बैण्ड बांधने का चलन है, वहीं दूसरी ओर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए मशहूर छत्तीसगढ़ में कान में भोजली लगाने की एक अनूठी परंपरा है. भोजली के दिन लोग एक दूसरे के कान में भोजली लगाकर जीवनभर दोस्ती निभाने का वचन देते हैं.
धूमधाम से मनाया गया भोजली का त्यौहार राजमहल में किया जाता आयोजन
छत्तीसगढ़ मे रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाएं जाने वाली इस भोजली त्योहार को प्रदेश का मित्रता दिवस कहा जाता है. राजमहल में भोजली पर्व को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. नगर की महिलाएं गाजे-बाजे के साथ सिर पर भोजली रख कर राजमहल पहुंचती हैं. जहां पर राजपरिवार के सदस्य भोजली की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. इसके बाद भोजली को महल में राजा-महाराजाओं द्वारा बनवायी गयी भोजली तालाब में जाकर विसर्जन कर दिया जाता है.
साल 1730 से चली आ रही परंपरा
महल में भोजली पर्व मनाने कि परम्परा साल 1730 से चली आ रही है, जो आज भी कायम है. राजपरिवार की पूर्व महारानी कृतिदेवी सिंह, अपने बेटे राजकुमार मैखलेश्वराज सिंह के साथ महल परिसर में मौजूद रहती है. जो आने वाले लोगों से मुलाकात करतीं हैं और उनका अभिवादन स्वीकार करती हैं. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इस दौरान महल में आने वाले लोगों के लिए भजन किर्तन का भी आयोजन किया जाता है.
सैकड़ों साल पुरानी है ये परंपरा
इस परम्परा को आदि काल से मनाया जा रहा है. यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है. राजमहल में भी जब से राजा महराजा रह रहे है तब से यह त्योहार मनाया जा रहा है.