कवर्धा: 'छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्जमाफी को लेकर कांग्रेस के दिग्गजों ने चुनाव से ठीक पहले किसानों को विश्वास दिलाने के लिए दोनों हांथों में गंगा जल लेकर भरी सभा में वादे किए थे, लेकिन आज वो कसमें गंगा नदी में बहती दिख रही हैं'. प्रदेश के कुछ किसान आज भी हाथों में बैंक से थमाया गया नोटिस लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, जिससे सरकार की कर्जमाफी योजना कागजों पर ही झलक रही है.
किसानों की नहीं हुई पूर्ण कर्जमाफी एक ओर जहां सरकार कर्जमाफी को लेकर चारों ओर अपनी तारीफ कर रही है, वहीं दूसरी ओर कर्ज माफ नहीं होने से अशोकनाथ खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. 6 महीने बीतने के बाद भी छत्तीसगढ़ की सहकारी समिति में पंजीकृत किसान की कर्जमाफी नहीं हो पाई है, जो प्रदेश सरकार के वादों पर सवाल खड़ा कर रहा है.
अशोकनाथ को नहीं मिल रहा सोसायटी से खाद्य
बता दें कि जिले के सोनपुरी के रहने वाले अशोकनाथ बैंक से लिए कर्ज को लेकर खासा परेशान हैं. किसान को राज्य सरकार के वादे के मुताबिक पूर्ण कर्जमाफी नहीं हो पाई. इससे किसान को खेती करने के लिए सोसायटी से उधार खाद्य नहीं मिल पा रहा है. सोसायटी सैल्समैन का कहना है कि बैंक में कर्ज होने के कारण उन्हें खाद्य दिया जाना संभव नहीं है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब सरकार ने सभी किसानों की कर्जमाफी कर दी है, तो फिर इस किसान का कर्ज माफ क्यों नहीं किया गया.
90 हजार के लोन में 28 हजार माफ
दरअसल, इस किसान ने बैंक से 90 हजार रुपये का कर्ज लिया था, लेकिन गरीबी की मार से लोन को चुका नहीं पाया. इसी बीच छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार के कर्जमाफी की वादों की बात सुनकर किसान निश्चिंत हो गया था, लेकिन जब किसान ने बैंक में पता किया तो महज 28 हजार रुपये का कर्जमाफ हुआ. शेष बची हुई राशि किसान के गले की फांस बनी हुई है. इससे गरीब किसान को इस सीजन में खाद्य, बीज नहीं मिल पाएगा.
डिप्टी कलेक्टर से मिला आश्वासन
पूरे मामले में डिप्टी कलेक्टर ने बताया कि अभी हमें किसान का ज्ञापन मिला है, उसका कहना है कि उसे सोसायटी में खाद्य नहीं दिया जा रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि उसका केसीसी का कर्ज बकाया है, जबकि कर्जमाफी के बाद उसका बकाया कैसे है. इसका पता लगा रहे हैं और उस सोसायटी के प्रबंधक से बात करके जो भी समस्या आ रही है, उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा.