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काश वक्त पर इलाज मिलता, तड़प-तड़प कर तोड़ा दम - Death of female deer in Kawardha

कवर्धा में वनविभाग की लापरवाही के कारण मादा हिरण की जान चली (Death of female deer in Kawardha) गई. मादा हिरण को चोट लगी थी लेकिन वक्त पर उसे इलाज की सुविधा नहीं मिली.

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कवर्धा में मादा हिरण की मौत

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Published : May 17, 2022, 5:02 PM IST

Updated : May 17, 2022, 6:09 PM IST

कवर्धा : कवर्धा जिले वनों से घिरा हुआ है. जिसमे कई तरह के वन्य प्राणी निवास करते हैं. गर्मी के दिनों में पानी और खाने की तलाश में वन्यजीव जंगलों से निकलकर गांव की तरफ आते हैं. कई बार जानवरों को ग्रामीण जंगल में जाकर छोड़ देते हैं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका. जंगल से भटककर आई एक मादा हिरण की मौत गांव में हो गई. इस दौरान ग्रामीणों ने उसे बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी.

कहां का है मामला : ये पूरा मामला कवर्धा वन परिक्षेत्र के बदराडीह गांव का (Death of deer in Badradih village of forest range) है. जहां मंगलवार की दोपहर ग्रामीणों ने गांव मे घायल अवस्था में घूमते हिरण को घूमते देखा. ग्रामीणों ने हिरण को देखकर उसका इलाज किया. और वन विभाग को इसकी सूचना दी. जानकारी के बाद भी वन विभाग की टीम घटना स्थल गांव नहीं पहुंची और इलाज के अभाव में हिरण की मौत हो गई. वन्यप्राणी की मौत के बाद वनकर्मी वहां पहुंचे और हिरण के शव को कब्जे मे लेकर कवर्धा डीपो ले गए. जहां हिरण का पोस्टमार्टम किया जाएगा. इसके बाद ही हिरण की मौत का पता चल सकेगा.

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इलाज मिलता तो बच जाती जान :डॉयल 112 को सूचना मिलते ही वन विभाग को मामले की जानकारी दी गई थी. लेकिन वन विभाग की टीम ने घटना स्थल तक पहुंचने में देरी कर दी. अगर समय पर वन विभाग की टीम पहुंच जाती और वन्यप्राणी को इलाज मिलता तो शायद हिरण की जान बचाई जा सकती थी. लेकिन लापरवाही (Loss of life due to negligence of forest department) के कारण हिरण की जान चली गई. जंगलों मे वन्यप्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था करने विभाग में खर्च तो दिखाया जाता लेकिन खर्च सिर्फ कागजों में ही दिखता है. जमीनी स्तर में पानी की व्यवस्था कराई जाती तो वन्यप्राणियों को इस तरह से अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती.

Last Updated : May 17, 2022, 6:09 PM IST

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