कवर्धा: छत्तीसगढ़ की नदियों की स्थिति से वाकिफ कराने के बाद अब हम आपको प्रदेश के विद्यालयों के हालात से वाकिफ कराएंगे. ETV भारत हाजिर है एक नई मुहिम 'आओ स्कूल चलें' लेकर. इस अभियान में सबसे पहले हम आपको उस शख्स से मिलवाते हैं, जिन्हें एक सराहनीय पहल के लिए सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जाना जाता है.
इन अफसरों ने भी पेश की मिसाल
अवनीश शरण ने ETV भारत की इस खास मुहिम की तारीफ भी की. अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराने वाले वे प्रदेश के इकलौते अधिकारी नहीं हैं, इस साल बसना विकासखंड के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी जे आर डहरिया ने अपने तीन बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया है. ऐसा कर उन्होंने एक अच्छी पहल की है. वहीं बिलासपुर के कलेक्टर ने एक कैदी की बेटी का दाखिला स्कूल में कराया है, जिससे लगता है कि अगर अफसर चाह लें तो सूरत बदली जा सकती है.
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ETV भारत की मुहिम को लेकर अवनीश शरण से बातचीत-
सवाल- लोगों का झुकाव निजी स्कूलों की तरफ होता है लेकिन बोर्ड एग्जाम में टॉप सरकारी स्कूलों के बच्चे करते हैं.
जवाब-जहां तक शिक्षा की बात है तो बच्चों का दाखिला कहां कराना है ये बच्चों और उनके पैरेंट्स पर डिपेंड करता है. लोग निजी स्कूलों को पसंद करते हैं इसके लिए एक माइंड सेट बना हुआ है कि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की अपेक्षा पढ़ाई के लिए कम सुविधा होती है. लेकिन आजकल सरकारी स्कूलों के बच्चे टॉप कर रहे हैं और ये सकारात्मक बदलाव है. इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ-साथ शिक्षकों को धन्यवाद कहना चाहिए क्योंकि वे अच्छा माहौल बना रहे हैं.
सवाल- निजी स्कूलों से कॉम्पिटीशन करने के लिए सरकारी स्कूल क्या करें ?
जवाब- कॉम्पिटीशन नहीं है. सरकारी और निजी स्कूलों का अलग-अलग दायरा है. सरकारी सूक्ल जन सामान्य के लिए हैं. निशुल्क शिक्षा है. निजी स्कूलों में जिनके पास पैसे हैं, वे पढ़ाते हैं. सराकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने की जरूरत है, जो लगातार हो रहा है. वहां शिक्षकों, समाज के लोगों को ध्यान देने की जरूरत है, माहौल देने की जरूरत है.