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सहकारी समितियों में 400 कर्मचारियों के इस्तीफे के बाद 16 राइस मिलर्स ब्लैक लिस्टेड

कवर्धा धान खरीदी केंद्रों (Kawardha Paddy Purchase Centers) में लंबे समय से धान का उठावा नहीं हुआ था.जिसकी वजह से जिले के सहकारी समितियों के 400 कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और उसने 16 राइस मिलर्स को ब्लैक लिस्टेड कर दिया. इस कार्रवाई से राइस मिलर्स में हड़कंप मच गया है.

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Published : Jun 21, 2021, 10:10 PM IST

There was a stir due to the resignation of 400 employees
400 कर्मचारियों के इस्तीफे से मचा हड़कंप

कवर्धाः सहकारी समिति में 400 कर्मचारियों के इस्तीफे से हड़कंप मच गया. इतनी संख्या में कर्मचारियों के इस्तीफे (employees resignations) के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. कलेक्टर ने 16 राइस मिलर्स को 3 साल के लिए ब्लैड लिस्टेड कर दिया है. जबकि 1 राइस मिलर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. समय पर धान उठाव नहीं करने के बाद यह कार्रवाई की गई है.

400 कर्मचारियों के इस्तीफे से मचा हड़कंप

आपको बता दें कि कवर्धा के धान खरीदी केंद्रों में लंबे अरसे से धान का उठाव नहीं हुआ था.जिसकी वजह से कर्मचारियों में भी गुस्सा था.इसलिए जिले भर से 94 समितियों में काम करने वाले 400 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. धान खरीदी केंद्रों में 5 लाख क्विंटल से ज्यादा धान का उठाव नहीं हो पाने से कर्मचारी नाराज हैं. समिति के नाराज कर्मचारियों का कहना था कि धान का उठाव नहीं होने से समितियों को नुकसान हो रहा है.इसके चलते उनको तीन माह से वेतन भी नहीं मिल पाया था. वहीं बारिश की वजह से धान खराब हो रहे थे. यही वो कारण था जिसकी वजह से कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद जिला प्रशासन की नींद टूटी और मिलर्स पर कार्रवाई हुई.

इन राइस मिलर्स को मिला नोटिस

अरवा राइस मिलर को कारण बताओ नोटिस दिया गया है

इन राइस मिलर्स को किया गया ब्लैक लिस्टेड

  • मां अंबे राइस मिल धरमपुरा
  • रॉयल राइस मिल खूटू
  • दीक्षा राइस मिल मानिकपुर
  • गणेश राइस मिल मोहटरखुर्द
  • अग्रवाल राइस मिल रायपुर रोड कवर्धा
  • जैन राइस मिल मैनपुरा
  • ओम राइस मिल सिंघनपुरी
  • राज राइस मिल लालपुर
  • बालाजी राइस मिल खूटू
  • जनता राइस मिल
  • हितांशु राइस मिल
  • सिद्धारत राइस मिल
  • पश्चरनाथ राइस मिल

इन मिलों पर ब्लैक लिस्टिंग की कार्रवाई तीन साल के लिए की गई है. लेकिन सवाल अब भी धान के उठाव का है. अब देखना होगा कि कब तक धान का उठाव हो पाता है.

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