जशपुर: कोरोना काल में जहां स्वास्थ्य विभाग की तारीफ हो रही है, वहीं जशपुर में लाचार सिस्टम की लचर व्यवस्था उजागर हुई है. बगीचा विकासखंड के जबला गांव के तांबा कछार में एक बीमार महिला को खाट पर ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लगभग 4 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर मुख्य मार्ग तक लाया गया. जिसके बाद एक निजी वाहन की मदद से उसे बगीचा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. ये सिलसिला यहीं नहीं थमा, गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचने के बाद भी डॉक्टरों ने महिला का इलाज नहीं किया और उसे बाहर जाने के लिए कह दिया.
इसके बाद परिजन महिला को लेकर होलीक्रॉस अस्पताल पंहुचे, जहां उसका इलाज शुरू किया गया. पीड़ित महिला कछार की रहने वाली है और लंबे समय से मासिक धर्म से जुड़ी बीमारी से पीड़ित है. इस गांव में न सिर्फ सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था बल्कि बिजली का भी आभाव है. गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है.
बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को 20 साल हो चुके हैं. इस दौरान इससे पहले की बीजेपी सरकार हो या वर्तमान की कांग्रेस सरकार सभी ने विकास के नाम पर खूब वाहवाही लूटी. हर किसी ने बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा किया, लेकिन जशपुर की इस तस्वीर ने सरकार के सभी दावों को खोखला साबित कर दिया है. जले में लगात ऐसे मामल सामने आते रहते है. फरसाबहार मुख्यालय की कापूकोना बस्ती से भी ऐसी एक तस्वीर सामने आई थी. यहां बरसात के दिनों में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. ऐसे में गांव के लोग खटिया का सहारा लेते हैं. मरीज को खटिया पर लिटाकर 3 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर फरसाबहार पहुंचते हैं.