छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

लचर स्वास्थ्य व्यवस्था: महिला को 4 किमी खाट पर ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लाया गया अस्पताल - स्वास्थ्य व्यवस्था छत्तीसगढ़

जशपुर की इस तस्वीर ने विकास के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी है. बगीचा विकासखंड के जबला गांव के तांबा कछार में एक बीमार महिला को खाट पर ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लगभग 4 किलोमीटर का सफर पैदल तयकर मुख्य मार्ग तक लाया गया.

poor health facility
लचर स्वास्थ्य व्यवस्था

By

Published : Jul 29, 2020, 10:37 AM IST

Updated : Jul 29, 2020, 12:48 PM IST

जशपुर: कोरोना काल में जहां स्वास्थ्य विभाग की तारीफ हो रही है, वहीं जशपुर में लाचार सिस्टम की लचर व्यवस्था उजागर हुई है. बगीचा विकासखंड के जबला गांव के तांबा कछार में एक बीमार महिला को खाट पर ढोकर मशाल की रोशनी के सहारे लगभग 4 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर मुख्य मार्ग तक लाया गया. जिसके बाद एक निजी वाहन की मदद से उसे बगीचा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया. ये सिलसिला यहीं नहीं थमा, गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचने के बाद भी डॉक्टरों ने महिला का इलाज नहीं किया और उसे बाहर जाने के लिए कह दिया.

लचर स्वास्थ्य व्यवस्था

इसके बाद परिजन महिला को लेकर होलीक्रॉस अस्पताल पंहुचे, जहां उसका इलाज शुरू किया गया. पीड़ित महिला कछार की रहने वाली है और लंबे समय से मासिक धर्म से जुड़ी बीमारी से पीड़ित है. इस गांव में न सिर्फ सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था बल्कि बिजली का भी आभाव है. गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंच पाई है.

बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को 20 साल हो चुके हैं. इस दौरान इससे पहले की बीजेपी सरकार हो या वर्तमान की कांग्रेस सरकार सभी ने विकास के नाम पर खूब वाहवाही लूटी. हर किसी ने बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने का दावा किया, लेकिन जशपुर की इस तस्वीर ने सरकार के सभी दावों को खोखला साबित कर दिया है. जले में लगात ऐसे मामल सामने आते रहते है. फरसाबहार मुख्यालय की कापूकोना बस्ती से भी ऐसी एक तस्वीर सामने आई थी. यहां बरसात के दिनों में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती. ऐसे में गांव के लोग खटिया का सहारा लेते हैं. मरीज को खटिया पर लिटाकर 3 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर फरसाबहार पहुंचते हैं.

जशपुर की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था

पढ़ें: महतारी एंबुलेंस 102 के कर्मचारियों ने ड्यूटी के साथ निभाया मानवता का फर्ज

क्षेत्र के जनप्रतिनिधि विधायक हर भाषण में कहते हैं कि ग्रामीणों को उनके पास आने की जरूरत नहीं है. हर समस्या पर वे खुद जाकर खड़े हो जाएंगे, लेकिन यहां ये साफ तौर पर देखा जा रहा है कि किस तरह यहां के ग्रामीण समस्याओं का दंश झेल रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं की कमी

हर पांच साल में सत्ता बदलती रही. विकास के नए-नए वादे किए गए, लेकिन गांव की तस्वीर नहीं बदली, जिसके परिणामस्वरूप यह स्थिति देखने को मिली है. एक ओर जहां शहरों का विकास तेजी से हो रहा है, वहीं प्रदेश के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. कई ऐसे गांव हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं राज्य बनने के 20 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है. सरकार भले स्वास्थ्य और शिक्षा गांव-गांव तक पहुंचाने के दावे कर रही है, लेकिन हकीकत में आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां न जाने कितने ही लोग बीमारी की हालत में पैदल चलकर अस्पताल जाने को मजबूर हैं.

Last Updated : Jul 29, 2020, 12:48 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details