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सरहुल पूजा को लेकर विवाद, पूर्व जनपद अध्यक्ष ने दे दी हथियार उठाने की चेतावनी, पुलिस से झूमाझटकी - सरहुल पूजा पर्व

सरहुल पूजा को लेकर विवाद पिछले कई सालों से लगातार चल रहा है. साल 2015 से इस विवाद ने तूल पकड़ना शुरू किया.

सरहुल पूजा को लेकर विवाद

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Published : Apr 8, 2019, 3:15 AM IST

Updated : Apr 8, 2019, 4:55 PM IST

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जशपुर: आदिवासी जनजाति समुदाय के द्वारा मनाए जाने वाले सरहुल पूजा पर्व को लेकर जीतू बगीचे में दो पक्ष आपस में भिड़ गए. दोनों पक्षों में जमकर झूमा झटकी हुई. इतना ही नहीं मामले को सुलझाने आई पुलिस से भी राजी पड़हा समिति की महिलाएं पुलिस की महिला कांस्टेबल और पुलिस के अधिकारियों से भिड़ गईं.


जैसे ही कल्याण आश्रम के द्वारा सरहुल पूजा की शोभायात्रा जीतू बगीचा पहुंची है, वैसे ही राजी पड़हा के कार्यकर्ता शोभा यात्रा को अंदर न घुसने देने पर अड़ गए. उन्हें समझाइश देकर हटाने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका ये प्रयास विफल हो गया. बढ़ते हुए कार्यकर्ताओं ने पुलिस के जवानों पर हमला करने की कोशिश की, जिससे पुलिस के जवान और कार्यकर्ताओं के बीच धक्कामुक्की शुरू हो गई.


घेराबंदी को तोड़ते हुए लोगों ने शुरू की पूजा प्रक्रिया
शोभायात्रा के साथ पहुंचे लोगों ने घेराबंदी को तोड़ते हुए दीपू बगीचा के अंदर प्रवेश करने में सफलता हासिल कर ली और पूजा की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसी बात को समझाने के लिए पुलिस विभाग के एसडीओपी राजेंद्र सिंह परिहार, पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. पुलिस के अधिकारियों ने राजी पड़हा के कार्यकर्ताओं को जिला प्रशासन की अनुमति का हवाला देते हुए शांति पूर्वक सरल पूजा करने की अपील की, लेकिन विरोध पर उतारू कार्यकर्ता उसके लिए राजी नहीं हुए.


एसडीओपी परिहार ने वनवासी कल्याण आश्रम कार्यकर्ताओं से छीनी गई पूजा के दाल को कब्जे में लेने का निर्देश महिला पुलिस बल को दिया. पुलिस ने जैसे ही कार्रवाई शुरू की, महिला कार्यकर्तायें, महिला पुलिस अधिकारी और कांस्टेबल से उलझ गईं. महिला कार्यकर्ताओं और महिला पुलिस कर्मियों के बीच जोर आजमाइश होने लगी. अंतत पुलिस ने डाल को अपने कब्जे में ले लिया. विवाद को सुलझाने जशपुर एसडीएम भी मौके पर पहुंचे. दोनों पक्षों को आमने-सामने बिठाया गया. तकरीबन आधे घंटे तक चले विवाद को 14 अप्रैल को सुलझाने के लिए बैठक के लिए दोनों पक्ष राजी हो गए.


विवाद पर वनवासी कल्याण आश्रम के वक्ताओं ने जताई नाराजगी
विवाद पर वनवासी कल्याण आश्रम के वक्ताओं ने नाराजगी जताई. वहीं, पड़हा समिति से जुड़े जनपद पंचायत जशपुर के पूर्व अध्यक्ष शशि भगत ने विवाद न सुलझने पर हथियार उठाने की चेतावनी दे डाली. उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम की सेवा के नाम पर परंपराओं से खिलवाड़ किया जा रहा है और जनजातीय समाज इसका कड़ा विरोध करेगा. इस विवाद को सुलझाने के लिए बैठक बुलाए जाने पर उनके प्रतिनिधित्व पहुंचते ही नहीं हैं, इससे विवाद सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है. अगर जल्दी समस्या का समाधान न किया तो हम हथियार उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

क्या है पूरा मामला
सरहुल पूजा को लेकर विवाद पिछले कई सालों से लगातार चल रहा है. साल 2015 से इस विवाद ने तूल पकड़ना शुरू किया. राजी पड़हा भारत नाम से गठित जनजाति समाज के संगठन ने वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रतिप्रदा के दिन सरहुल पूजा का आयोजन किए जाने पर विरोध जताना शुरू किया. इस संगठन के लोगों का कहना है कि रामनवमी का पहला दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है और सरहुल चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाने की पुरानी परंपरा रही है, लेकिन राजनीति वर्चस्व बनाए रखने के लिए इस परंपरा को तोड़ा जा रहा है.


जशपुर अंचल में ये परंपरा सालों से चली आ रही
वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े पूर्व विधायक जगेश्वर राम भगत का कहना है कि वर्ष प्रतिपदा के दिन से सरहुल पूजा मनाने की शुरुआत हो जाती है. इसके बाद गांव-गांव में इसका आयोजन किया जाता है. यह परंपरा जशपुर अंचल में सालों से चली आ रही है. दोनों पक्ष अपने-अपने रवैये पर अड़े हुए हैं. वहीं दोनों पक्षों को आयोजन करने के लिए अलग-अलग समय पर अनुमति प्रशासन द्वारा दी गई थी.

Last Updated : Apr 8, 2019, 4:55 PM IST

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