जशपुरः मां की खोज उसे मौत तक ले आई. खेत में काम कर रही मां को खोजने निकले मासूम अर्पित को मां की नहीं बल्कि मौत की गोद नसीब हुई. जंगल और पहाड़ पर भटकते हुए भूख-प्यास से तड़पकर मासूम ने दम तोड़ दिया. अर्पित की ये कहानी आप की भी आंखों को नम कर देगी.
ख से तड़पकर इस तरह हुआ मासूम अर्पित का अंत ढाई साल का मासूम अर्पित अंजाने में मां को खोजता हुआ हजारों फीट की पहाड़ की उंचाई पर जा पहुंचा. यहां रास्ता भटक जाने से वह 6 दिनों तक भूख प्यास से तड़पता रहा और दम तोड़ दिया.
मां को खोजने गया था अर्पित
कोतवाली क्षेत्र के ग्राम सिटोंगा के आश्रित ग्राम चेंगोटोली में ढाई साल के अर्पित की मां खेत में काम करने गई थी. मासूम ने घर पर मां को नहीं देखा तो वह छाता लेकर मां को खोजने निकल पड़ा. बीते सोमवार की शाम तकरीबन 4 बजे वह घर से निकला फिर लौट कर नहीं आया.
अर्पित की मां पुनिता बाई ने पड़ोसियों की मदद से उसे खोजने का प्रयास किया. लेकिन मंगलवार की दोपहर तक पता न चलने पर उसने इसकी सूचना कोतवाली पुलिस को दी थी. कोतवाली थाना पुलिस सिटोंगा गांव में पांच दिन तक डेरा डाल कर ग्रामीणों के सहयोग से सर्च ऑपरेशन चलाती रही.
जंगल में मिला शव
3 अगस्त को कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि नजदीक के गांव काईकछार में एक वृद्व को अर्पित का छाता मिला है. सूचना पर तत्काल काईकछार पहुंच कर पुलिस की टीम ने वृद्व से पूछताछ की. वह पुलिस की टीम को पास के झझर जंगल के सबसे ऊंची चोटी पर ले गया. यहां जिस स्थान पर वृद्व ग्रामीण को छाता मिला था, उसके आसपास सर्च करने पर पुलिस को अर्पित का चप्पल और उसके कपड़े मिल गए. इससे अनहोनी की आशंका को देखते हुए सिटोंगा और काईकछार के ग्रामीणों के साथ मिल कर जंगल को खंगालना शुरू किया. तकरीबन आधे दिन की मशक्कत के बाद ही अर्पित का शव उसके कपड़ों से कुछ ही दूरी पर बरामद हुआ.
भूख-प्यास से हुई मौत
मामले में प्रारंभिक अनुमान लगाया जा रहा है कि भटक कर जंगल के रास्ते में पहुंचने के बाद अर्पित जंगल से वापस नहीं लौट पाया और भूख प्यास से बेहाल होकर उसकी मौत हो गई होगी.
टीआई लक्ष्मण सिंह धुर्वे ने बताया कि पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही अर्पित के मौत का वास्तविक कारण पता चल पाएगा. इसके बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.
मासूम अर्पित का ये अंत मार्मिक है जो दिल को झकझोर देता है.