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जशपुर: सभा में सरना धर्म कोड की मांग का विरोध - सरना धर्म कोड का विरोध

सरना धर्म कोड को लेकर जनजातीय सुरक्षा मंच ने जशपुर में विशेष सभा का आयोजन किया. सभा में सरना धर्म कोड की मांग का विरोध किया गया.

Tribal Security Forum
सरना धर्म कोड

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Published : Dec 28, 2020, 7:05 PM IST

Updated : Dec 28, 2020, 8:00 PM IST

जशपुर:जिले में सरना धर्म कोड की मांग का विरोध शुरू हो गया है. जिसे लेकर जनजातीय सुरक्षा मंच ने शहर में विशेष सभा का आयोजन किया. इस सभा में जिले के साथ सरगुजा, रायगढ़, कोरिया के साथ झारखंड और ओडिशा से जनजातीय समाज के दिग्गज प्रतिनिधि जुटे. सभा में 'आदिवासी हिंदू है' पर विचार किया गया, साथ ही सरना धर्म कोड का विरोध किया गया.

सरना धर्म कोड का विरोध

जनजातीय सुरक्षा मंच के संरक्षक गणेश राम भगत ने बताया कि सभा में सरना धर्म कोड की मांग और इसकी छत्तीसगढ़ में आवश्यकता पर विचार किया गया. जनजातीय समाज के लोगों पक्ष और विपक्ष में प्रस्तुत किए गए तर्क को सुना गया और एक मत से निर्णय लिया गया कि आदिवासी हिन्दू है और हमे सरना धर्म कोड नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी लोग आकर यहां लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं. आदिवासी प्रकृति की पूजा करने वाले और महादेव पार्वती की पूजा करने वाले हैं. हम हिंदू हैं, हमें धर्मकोट की आवश्यकता नहीं है.

पढ़ें-आदिवासी क्यों चाहते हैं अलग सरना धर्म, हिंदू धर्म से क्यों है अलग

सरना धर्म कोड का विरोध

सरना धर्म कोड का मामला इन दिनों गरमाया हुआ है. झारखंड सरकार ने विधानसभा में इस मांग के पक्ष में प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार को भेजा है. इसके बाद से ही झारखंड की सीमा पर स्थित जनजातीय बाहुल्य जशपुर जिले में समर्थकों ने इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश शुरू कर दी है. बीते दिनों को शहर के नजदीकी गांव बालाछापर में कोड समर्थकों ने सभा और रैली का आयोजन किया था, लेकिन जिले के जनजातीय समाज के कड़े विरोध से कोड समर्थकों का यह प्रयास पूरी तरह से विफल साबित हो गया था.

क्या है सरना धर्म कोड ?

जनजातीय समाज का एक वर्ग आदिवासी समुदाय को हिंदू समाज से अलग पहचान दिए जाने की मांग कर रहा है. आदिवासियों की पूजा पद्धति और संस्कृति हिंदूओं से अलग है. इसलिए 2021 में होने वाली जनगणना में आदिवासी धर्म के लिए एक अलग से कॉलम होना चाहिए. वहीं मांग के विरोध में उतरे जनजातीय सुरक्षा मंच सहित कई जनजातीय संगठन इससे सहमत नहीं है. उनका कहना है कि हिंदू समाज में पूजा की कई विधियां प्रचलित हैं. प्रकृति पूजा हिंदू समाज का अभिन्न अंग है. ऐसे में जनजातीय समाज को हिंदू समाज से अलग नहीं माना जाना चाहिए.

पढ़ें-धर्म कोड विवाद: छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई सरना धर्म कोड की मांग, लोगों ने किया विरोध

सभा में इन दिग्गजों की रही उपस्थिति

जनजातीय सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित इस महासभा में झारखंड आदिवासी विकास समिति सह उरांव जनजाति धर्म संस्कृति रक्षा मंच की मेघा उरांव, उपाध्यक्ष जयमंत्री उरांव, सचिव कुमुदनी लकड़ा, छत्तीसगढ़ जनजातीय गौरव समाज, अंबिकापुर के बंशीधर उरांव के साथ जिला पंचायत जशपुर की अध्यक्ष रायमुनि भगत, जनपद पंचायत जशपुर के उपाध्यक्ष राजकपूर भगत, जनपद पंचायत फरसाबहार के पूर्व अध्यक्ष वेदप्रकाश भगत, जशपुर के पूर्व विधायक जगेश्वर राम शामिल थे.

Last Updated : Dec 28, 2020, 8:00 PM IST

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