जशपुर: जिले के मनोरा विकासखंड मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के किनारे ग्राम डीहडांड नाम का एक छोटा सा कस्बा है, जहां 70 वर्षीय आदिवासी किसान टेटंगू राम अपने परिवार के साथ लगभग 5 पीढ़ी से निवास करते हैं. शुरुआत में इनका परिवार अपनी निजी भूमि पर खेती करते थे, लेकिन वह इसती फसल उनके लिए पर्याप्त नहीं हो पाती थी.
किसान टेटंगू राम कृषि कार्य में विशेष रुचि होने के कारण अपनी जमीन से लगे वन भूमि के खाली जमीन पर कोदो, कुटकी और अरहर की खेती करते थे, जिससे उनको अतिरिक्त लाभ मिल जाता था.
किसान टेटंगू राम को मिला वन अधिकार पत्र वन अधिकार पत्र के लिए दिया था आवेदन
किसान टेंटगू राम बताया कि वन अधिकार मान्यता अधिनियम लागू होने के बाद अपने काबिज भूमि के हक लिए वन अधिकार पत्र के लिए जिला प्रशासन को उन्होंने आवेदन दिया था. उनके आवेदनों की जांच के बाद उन्हें वन अधिकार पत्र जिला प्रशासन ने दे दिया है.
साल में 3 फसल आसानी से लेते हैं साल में 3 फसल आसानी से लेते हैं
उन्होंने बताया कि भूमि का हक मिलने के बाद भूमि के समतलीकरण के लिए भी आवेदन दिया, जिस पर मनरेगा के तहत उनके भूमि का समतलीकरण कर दिया गया है. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए और जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि भूमि सुधार होने के बाद मौसम के अनुसार साल में लगभग 3 फसल आसानी से ले लेते हैं. अब उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई है.
खेत के किनारे लगा है नाला
किसान टेंटगू राम का कहना है कि उनका खेत जंगल से लगा हुआ है और किनारे से नाला भी गया हुआ है. कृषि विभाग ने उनके खेत में सोलर पंप भी कृषि कार्य के लिए लगाया है, जिससे साग-सब्जी से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार के साथ वह खुशहाल जीवन व्यतित कर रहे हैं और अपने आसपास के किसानों को भी छत्तीसगढ़ शासन की योजना का लाभ उठाने और उन्नत खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.