जशपुर :नाम बनाने वालों ने अपनी शुरुआत गांवों में पगडंडियों पर चलकर, कभी किसी की उंगलियों को पकड़कर, अपने संघर्ष से या फिर किस्मत से हासिल किया होगा. लाखों के बीच पहचान बनाने वाले अपनी शुरुआत मुट्ठी भर लोगों के बीच कर सकते हैं. जशपुर जिले के 25 परिवार वाले गांव ने 4 ऐसे दिग्गज जनप्रतिनिधियों को जन्म दिया है जिन्होंने छत्तीसगढ़ की राजनीति में अहम भूमिका निभाकर राजनीति के क्षेत्र में तो पास हो गए हैं लेकिन उसी गांव के ग्रामीणों ने उनके रिपोर्ट कार्ड में उन्हें फेल कर दिया है.
जिले के मात्र 25 परिवार वाले इस छोटे से गांव की गलियों ने एक आईपीएस समेत तीन बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को जन्म दिया है. कैरियर का गवाह रहा इस छोटे से गांव में इन दिग्गजों ने अपना बचपन गुजारा, प्राथमिक शिक्षा ली और निकल पड़े देश और प्रदेश में अपना योगदान देने, लेकिन इन सब के बीच वे सभी गांव को ही अपना योगदान देने से चूक गए. हाल ही में भाजपा ने इस गांव की बहु को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारा है लेकिन इस बात पर गर्व करने के बजाय ग्रामीणों के मन में कसक है. उनका कहना है कि इन दिग्गज नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों का यह गांव आज भी विकास की मार झेल रहा है.
1136 की आबादी वाले इस गांव में 25 परिवार निवासरत
जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे फरसाबहार जनपद का ग्राम पंचायत गारीघाट है, जिसमें 11 वार्ड के 1136 की आबादी वाले 25 परिवार निवास करते हैं. यहां ज्यादातर लोग कंवर समाज के हैं. मुंडाडीह ग्राम का राजनीतिक सफर 1971 में शुरू हुआ. किसान परिवार के दिनेश्वर साय ने राजनीति में कदम रखा. इसकी शुरुआत उन्होंने तपकरा विधानसभा से चुनाव लड़ कर किया. वे मध्य प्रदेश विधानसभा तक पहुंच गए. 1985 तक मुंडाडीह ग्राम से ही तपकरा विधानसभा का संचालन करते रहे.
नंदकुमार साय से जुड़ा है ये गांव
उसी वक्त एक और नेता अपनी पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति में कदम रख रहे थे जिनका नाम नंद कुमार साय है. इन्होंने विधानसभा चुनाव जीतकर दो बार तपकरा विधानसभा से विधायक रहे और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी हैं.
भरत साय का राजनीतिक सफर
इसके बाद इस गांव से राजनीतिक सफर की शुरुआत करते हुए तीसरे भाजपा के दिग्गज नेता रहे भरत साय जो कि 2003 से लगातार 2013 तक विधायक रहे. इसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष बना दिया गया. वहीं 2018 में कुनकुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.