जशपुर: टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट, 60-80 तक बिक रही हरी सब्जियां - Prices of vegetables in Jashpur
जशपुर में सब्जियों के दाम एक बार फिर बढ़ गए हैं. दूसरे राज्यों से लाई जा रही सब्जी आम लोगों के बजट से पार हो गई है. वहीं टमाटर 60 से 80 रुपये किलो के बीच बिक रहा है.
सब्जियों के दाम बढ़े
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Published : Oct 4, 2020, 4:51 PM IST
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Updated : Oct 4, 2020, 4:57 PM IST
जशपुर:कोरोना काल में सब्जियों के दाम एक बार फिर बढ़ गए हैं. इस वक्त शहर में कोई भी हरी सब्जी 40 रुपए प्रति किलो से नीचे नहीं बिक रही है. वहीं टमाटर के भाव ने लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. थोक विक्रेताओं का कहना है कि वाहनों की आवाजाही कम होने और पेट्रोल-डीजल के दाम में हुई बढ़ोतरी की वजह से भाव बढ़े हैं. वहीं टमाटर की आपूर्ति आंध्र प्रदेश से होने के कारण ट्रांसपोर्टेशन महंगा हो गया है, इस कारण टमाटर के दाम उछाल पर हैं.
टमाटर ने बिगाड़ा रसोई का बजट
लॉकडाउन के कारण सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित होने से कीमतों में उछाल आया है. जशपुर में सब्जियों की आपूर्ति झारखंड से होती है, लेकिन कोरोना के बढ़ रहे आंकड़ों की वजह से लोग दूसरे राज्य में जाने से बचते नजर आ रहे हैं. इससे आवश्यक सामानों की आपूर्ति प्रभावित हुई है. शहर में राशन, कपड़ा, दवाई जैसे कई सामानों की आवक झारखंड और पश्चिम बंगाल के कोलकाता से होता है. कोरोनाकाल में बाजार की इस प्रवृत्ति में खासा परिवर्तन देखने को मिला है.
खरीफ फसल के दौरान पूरे देश को टमाटर आपूर्ति करने वाला यह जिला इस वक्त आंध्रप्रदेश की आपूर्ति पर निर्भर हो गया है. इन दिनों बाजार में टमाटर की आसमान छूती कीमत की वजह से लोगों की थाली यह दूर होने लगा है. इन दिनों दैनिक व साप्ताहिक बाजार में टमाटर 60 से 80 रुपए किलो के बीच बिक रहा है. थोक विक्रेता सरोज गुप्ता ने बताया कि बाजार में आ रहे टमाटर बेंगलुरु से लाए गए हैं. उन्होनें बताया कि यह टमाटर ट्रेन से बिलासपुर और सड़क मार्ग से जशपुर पहुंचता है. परिवहन का खर्च अधिक होने से जशपुर पहुंचते ही इसकी कीमत अधिक हो जाती है.
टमाटर 60-80 तक बिक रहे
खरीफ की फसल में दाम में गिरावट
अक्टूबर में टमाटर की फसल के बाजार में उतरते ही जिले में तेजी से टमाटर की कीमत में गिरावट आती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है. जिले के पत्थलगांव, कांसाबेल, बगीचा और मनोरा तहसील में टमाटर की बंपर पैदावार होती है, लेकिन बारिश के सीजन में जिलेवासी टमाटर के स्वाद के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर हो जाते हैं.