जशपुर: इंडोर स्टेडियम का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कलेक्टर महादेव कावरे के निर्देश के बाद भी इनडोर स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाया है. स्टेडियम में अभ्यास करने वाले खिलाड़ी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन किसी न किसी वजह से उन्हें यह स्टेडियम उपलब्ध नहीं कराया जा रहा. जिसे लेकर युवा खिलाड़ियों ने एक बार फिर जिला शिक्षा अधिकारी से स्टेडियम को खोलने की मांग को लेकर मुलाकात की है.
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युवा खिलाड़ियों ने की शिक्षा अधिकारी से मुलाकात
शहर में जिला शिक्षा कार्यालय के पास में स्थित इंडोर बैटमिंटन हॉल जिले के कलेक्टर महादेव कांवरे के निर्देश के बावजूद नहीं खुल पा रहा है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद खेल गतिविधियों को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए, सरकार से अनुमति दिए जाने के बावजूद युवा खिलाड़ियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इससे नाराज युवाओं ने एक बार फिर जिला शिक्षा अधिकारी से इस संबंध में मुलाकात की है. युवाओं ने स्टेडियम को नगर पालिका परिषद को सौंपने की मांग की है. जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर ने इसपर सहमति जताते हुए नगर पालिका को इस संबंध में पत्र लिखने का आश्वासन दिया है.
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37 लाख की लागत से हुआ है जीर्णोद्धार
शहर के बीच में स्थित बैडमिंटन स्टेडियम बीते कुछ महीने से विवादों से घिरा हुआ है. खनिज न्यास निधि मद के सहयोग से 37 लाख रुपये खर्च कर जिला प्रशासन ने युवा खिलाड़ियों को अभ्यास की सुविधा देने के लिए इस स्टेडियम का जीर्णोद्वार कराया था. निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लोक निर्माण विभाग को इसको विधिवत नगर पालिका परिषद को सौंपना था, लेकिन इससे पहले ही जिला प्रशासन ने तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए इसे जुबां नृत्य के लिए सौंप दिया था.
तत्कालीन सांसद दिलीप सिंह जूदेव ने कराया था निर्माण
तत्कालीन राज्यसभा सांसद दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के सांसद नीधि से इसका निर्माण कराया गय था. इसके बाद इसका 2019 में जीर्णोद्धार कर इसमें महंगे वुडन फ्लोर का निर्माण कराया गया है. जानकारों के मुताबिक वुडन फ्लोर का उपयोग इसके तय मापदंड और विशेष जूते पहन कर ही किया जाता है. लेकिन प्रदेश में गिनती के शेष रह गए वुडल फ्लोर इंडोर स्टेडियम को सुरक्षित रखने और इसके उपयोग को लेकर अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहें हैं.
अधिकारियों के चक्कर काट रहे खिलाड़ी
इस स्टेडियम में अभ्यास करने की उम्मीद लगाए शहर के युवा खिलाड़ी कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के साथ जनप्रतिनिधियों का चक्कर काट रहें हैं, लेकिन कोई न कोई पेंच फंसाकर अविभाजित मध्यप्रदेश काल के इस बैडमिंटन स्टेडियम को ताले में कैद रखा जा रहा है.