जशपुर: छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले जशपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन बीजेपी सरकार ने करोड़ों की लागत से मोटल निर्माण काम शुरू कराया था, लेकिन मोटल निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है.
10 साल में भी नहीं बना पर्यटन विभाग का 'ताजमहल' छत्तीसगढ़ के शिमला के रूप में विख्यात जशपुर के पर्यटन स्थलों पर लाखों पर्यटक हर साल आते हैं. इसे देखते हुए जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पंडरापाठ में लोगों के रुकने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से मोटल निर्माण की घोषणा की थी. जिसके बाद पर्यटन मंडल की देखरेख में इसका निर्माण भी शुरू हो गया, लेकिन यह मोटल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. निर्माण कार्य शुरू होने के 10 साल बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया मोटल
इधर, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र को प्राकृतिक रूप से पहले ही पर्यटन के लिए घोषित कर देना चाहिए था. लोगों ने बताया कि, जब 10 साल पहले बीजेपी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कदम बढ़ाया था, तो लोगों को लगा कि यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन यह मोटल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और एक दशक बाद भी इसका निर्माण अधूरा पड़ा है. अब यह अधूरा मोटल भी धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.
जल्द शुरू होगा निर्माण कार्य
मामले में कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर का कहना है कि जिले में पर्यटन को बढ़ाव देने के लिए ओर भी दो मोटल बनाए जा रहे हैं. इसके अलावा अधूरे पड़े पंडरापाठ के मोटल का निर्माण फिर से शुरू करवा दिया जाएगा. बहरहाल मोटल के बनने का स्थानीय दशकों से इंतजार कर रहे हैं.