जशपुरःअखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर होने वाले आयोजन पर रोक लगाने के लिए मांग की है. अपनी मांग को लेकर अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच के लोगों ने राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मूल आदिवासी दिवस राष्ट्र को तोड़ने वाला वैश्विक षड्यंत्र है.
विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजन रोकने के लिए राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन
9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर होने वाले आयोजन पर रोक लगाने के लिए मांग की है. अपनी मांग को लेकर अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच के लोगों ने राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
9 अगस्त को क्यों मनाया जाता है आदिवासी दिवस
अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान विश्व के अधिकतर देश को अंग्रेजों ने अपना उपनिवेश बनाकर शासन किया था. जब कोपहाटन युद्ध में ब्रिटेन की सत्ता बिर्जिनिया प्रान्त में स्थापित हुई तो 9 अगस्त के दिन ही धर्म विशेष का प्रचार प्रसार शुरू हुआ. इस दिन को यादगार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस दिन को आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई.
आयोजन पर रोक लगाने की मांग
अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि भारत के मूल निवासी आदिवसियों को माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित कर प्रचार किया गया. इस कारण इस दिन विश्व आदिवासी दिवस का उत्सव मनाया जाता है. जिसमे वे आदिवासी भी शामिल रहते हैं जो अपना धर्मांतरण कर चुके हैं. इस आयोजन से जन जातीय समाज के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है. अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने कहा कि एक विशेष समुदाय द्वारा करमा उत्सव मनाना, पत्थलगढ़ी के माध्यम से जनजातीय समाज को तोड़ना और अपने समुदाय में शामिल करने का षड्यंत्र है. अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त के विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार करते हुए चेतावनी दी है.