जशपुर: कोरोना संकट के दौरान हजारों मजदूर अपने घर जाने को पैदल ही निकल पड़े हैं. सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा ये मजदूर पैदल ही कर रहे हैं. कोई रेल की पटरी पर चल रहा है, तो कोई घने जंगलों से होकर अपने घर की ओर निकल पड़ा है. ऐसे ही दो युवक झारखंड के चतरा से छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के लिए जंगल के रास्ते से होकर निकले. 6 दिन का सफर पैदल तय करके वे जशपुर पहुंचे. यहां पुलिस और मीडियाकर्मी की मदद से युवकों का मेडिकल चेकअप करवाया गया और खाने-पीने की व्यवस्था की गई. इसके बाद दोनों मजदूरों को गाड़ी से रायगढ़ भेज दिया गया.
बता दें कि प्रशासन की ओर से लॉकडाउन में राहत देते हुए मजदूरों को अपने राज्य तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद कुछ मजदूर ऐसे हैं जिन्हें इन सुविधाओं का फायदा नहीं मिल रहा है. नतीजतन वे पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर पहुंचना चाहते हैं.
बोरवेल वाहन में काम करने गए थे मजदूर
रायगढ़ जिले के कापू थाना क्षेत्र के कंजीरा गांव के रहने वाले रामप्रसाद और संतोष कुमार बीते साल दिसंबर में बोरिंग वाहन में मजदूरी करने के लिए झारखंड के चतरा गए थे. रामप्रसाद ने बताया कि अपने परिचित के माध्यम से वे चतरा गए थे. जहां उन्हें 300 रूपए रोजाना मजदूरी और रहने-खाने का इंतजाम होने की बात कहकर बोरवेल गाड़ी में काम दिया गया था. शुरू में तो सब ठीक चलता रहा था, लेकिन लॉकडाउन के बाद बोर खनन का काम भी बंद हो गया. कुछ दिन तक तो उन्हें खाने के लिए राशन और आने-जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराया जाता रहा, लेकिन उसके बाद वाहन मालिक ने मदद करने से हाथ खड़े कर दिए. इससे इन मजदूरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई.