जशपुर: कोरोना संक्रमण रोकथाम के लिए जिले में लॉकडाउन लागू है. ऐसे में कटहल का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है. किसानों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से यह दूसरा साल है जब कटहल का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के दौरान बाहर के व्यापारी कटहल खरीदने नहीं आ रहे हैं. ऐसे में स्थानीय बाजार में कटहल का सही भाव भी नहीं मिल रहा है. किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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जशपुर जिले में गर्मी के मौसम में किसान हर साल कटहल बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. खेत-खलिहानों में कटहल के पेड़ों पर बहुतायत मात्रा में कटहल की उपज होती है, लेकिन साल 2020 में किसानों को लॉकडाउन के कारण कटहल के ग्राहक ही नहीं मिले. इस साल भी यहीं हाल है. दरअसल जशपुर जिले के गांव-गांव में सैकड़ों टन कटहल की पैदावार होती है, लेकिन अब खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं.
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अन्य राज्यों में जशपुर के कटहल की मांग
जशपुर जिले में कटहल की अधिक पैदावार होने की वजह से यहां से कटहल की खपत पड़ोसी राज्य ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश में होती है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों में भी कटहल भेजी जाती है. छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों में थोक सब्जी व्यापारी किसानों से कटहल की खरीदी करते हैं, लेकिन बीते साल से कोरोना संक्रमण के कारण व्यापारी जशपुर नहीं पहुंच रहे हैं.
बंपर पैदावार, लेकिन बिक्री नहीं
किसान रोशन साय ने बताया कि इस साल कटहल की पैदावार अच्छी हुई है. गर्मी के दिनों में कटहल की पैदावार से उन्हें लाखों रुपए की अतिरिक्त आमदनी होती थी, लेकिन इस बार कोरोना के कारण कटहल के फल अबतक पेड़ों में ही लटके हुए हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल भी लॉकडाउन में कटहल की बिक्री नहीं हो पाई थी. इस साल भी वैसा ही हाल है.
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डेढ़ लाख का हुआ नुकसान
किसान फिलमोन लकड़ा ने बताया कि पिछले साल से कटहल की बिक्री रुकी हुई है. उन्हें लगभग इस साल डेढ़ लाख का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि उनके घर के आस-पास और बाड़ी में करीब 10 से 12 पेड़ कटहल के हैं. करीब एक साल में डेढ़ लाख की आमदनी होती है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से यह कटहल बिक नहीं रहे जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ रहा है.