जशपुर:अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव की बुधवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. वे 73 वर्ष के थे. गुरुवार को जशपुर के बांकी नदी के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया. दिवंगत जगदेव राम उरांव के आकस्मिक निधन से देशभर के वनवासियों में शोक की लहर है. दिवंगत जगदेव राम उरांव को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेता मौजूद रहे.
वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव को दी गई अंतिम विदाई वनांचल क्षेत्रों में वनवासी बच्चों को शिक्षित और उनकी परंपरा को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना की गई थी. आश्रम की स्थापना 1994 में की गई थी, तब से लेकर अब तक जगदेव राम उरांव अध्यक्ष पद पर काबिज थे. दिवंगत जगदेव राम जशपुर स्थित कल्याण आश्रम से महज 3 किलोमीटर दूर कोमडो गांव के रहने वाले थे. दिवंगत जगदेव राम उरांव ने देश भर में वनवासी कल्याण आश्रम के काम को उच्चतम स्तर पर पहुंचाया था.
दिवंगत जगदेव राम उरांव की अंतिम यात्रा अंतिम यात्रा में शामिल हुए नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक
दिवंगत जगदेव राम की अंतिम यात्रा में प्रदेश भाजपा के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे. जिसमें नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार साय, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, छत्तीसगढ़ वनौषधी और पादप बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामप्रताप सिंह, छत्तीसगढ़ के पूर्व गृह मंत्री रामविचार नेताम, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण कुमार राय और भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रबल प्रताप सिंह जूदेव शामिल रहे.
दिवंगत जगदेव राम उरांव की अंतिम यात्रा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने दी श्रद्धांजलि
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि दिवंगत जगदेव राम का निधन कल्याण आश्रम परिवार और भाजपा सहित पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है. वनवासी कल्याण आश्रम के संत की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि बचपन में ही उन्होंने RSS और वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़कर समाजसेवा और वनवासियों के विकास का संकल्प लिया था. अपने इस संकल्प का पालन उन्होंने आजीवन किया है. इसके साथ ही उन्होंने आश्रम के संस्थापक बाला साहेब देशपांडे के सपने को साकार करने के लिए लगातार काम किया है.
दिवंगत जगदेव राम उरांव की अंतिम यात्रा वनौषधि और पादप बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने दी श्रद्धांजलि
धरमलाल कौशिक ने कहा कि उनके छोड़े हुए काम को आगे बढ़ाना ही जगदेव राम के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी. उनके अलावा वनौषधि और पादप बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामप्रताप सिंह ने कहा कि जशपुर के माटी पुत्र के जाने से इस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगे कहा कि वे उनके शिक्षक भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि वनवासी क्षेत्रों में उन्होंने कई ऐसे काम किए हैं, जिससे वनवासियों का जीवन स्तर बदला है.
दिवंगत जगदेव राम उरांव की अंतिम यात्रा कौन थे जगदेव राम उरांव
दिवंगत जगदेव राम उरांव का जन्म जशपुर शहर से 3 किलोमीटर दूर कोमडो गांव में हुआ था. जगदेव 3 भाइयों और 2 बहनों में से एक थे. जगदेव राम 1995 से अब तक कल्याण आश्रम के अध्यक्ष पद पर काबिज थे. वे कल्याण आश्रम के संस्थापक वनायोगी बालासाहब देशपांडे के निधन के बाद से संगठन का नेतृत्व कर रहे थे. वे जशपुर में 1968 में आश्रम की ओर से संचालित स्कूल में एक शिक्षक के रूप में कल्याण आश्रम में शामिल हुए थे.
80 के दशक में थे उपाध्यक्ष
80 के दशक में बाला साहब देशपांडे के नेतृत्व में कल्याण आश्रम पूरे भारत में अपना नेटवर्क बढ़ा रहा था. तब दिवंगत जगदेव राम कई सालों तक कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष रहे और बाद में उन्हें कटक में राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान 1993 में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया. वे विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए नेतृत्व कर्ता रहे. बता दें कि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से जनजातीय युवाओं के लिए हर साल खेल समारोह और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.
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कल्याण आश्रम ने दिवंगत जगदेव राम उरांव के नेतृत्व में जरूरतमंदों के लिए सेवा और राहत काम किए हैं. कल्याण आश्रम लगभग 500 जनजाति समुदायों को कवर करने वाला एक देशव्यापी संगठन बन गया है. अबतक इस आश्रम का काम 50 हजार से ज्यादा गांवों तक विस्तृत है. वहीं पूरे भारत में 14 हजार गांवों में 20 हजार से ज्यादा परियोजनाएं संचालित है.