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वनवासी कल्याण आश्रम का 70वां स्थापना दिवस, नाच गाकर मनाया गया जश्न - वनवासी कल्याण आश्रम की 70वें स्थापना दिवस

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के 70वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. (foundation day ceremony of Vanvasi Kalyan Ashram) इस अवसर पर शहर के जिला चिकित्सालय के समीप स्थित अंर्तराष्ट्रीय मुख्यालय प्रांगण झांझ और मांदर के थाप से गूंज उठा. लोक कला संगम कार्यक्रम में जिले भर के लोक नतृक दलों ने अपने नृत्य कला का प्रदर्शन किया. Jashpur latest news

foundation day ceremony of Vanvasi Kalyan Ashram
वनवासी कल्याण आश्रम का 70वां स्थापना दिवस

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Published : Dec 26, 2022, 11:33 PM IST

वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना दिवस पर कार्यक्रम

जशपुर: सोमवार को वनवासी कल्याण आश्रम की 70वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोदजन में मौजूद जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनि भगत ने बताया कि "अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की नींव 26 दिसंबर 1952 को उस वक्त रखी गई थी. (foundation day ceremony of Vanvasi Kalyan Ashram) जब जशपुर जैसे सुदूर वनाचंल क्षेत्र में वनवासियों को बरगलाने के लिए विदेशी ताकतें सक्रिय थी." Jashpur latest news

सांसद गोमती साय भी आयोजन में हुईं शामिल: जशपुर सांसद गोमती साय ने कहा कि "कल्याण आश्रम ने जनजातियों की मूल रीति, रूढ़ियों और परम्पराओं को सहेजने के साथ उन्हें शिक्षित और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करने के दिशा में कार्य शुरू किया. इसका परिणाम आज हम सब देख रहे हैं." स्थापना दिवस के अवसर पर सामूहिक दौड़ और लोकनृत्य का आयोजन किया गया है. इस नृत्य संगम में जिले भर से सौ से अधिक नृतक दल भाग ले रहे हैं. कला संगम में शामिल होने के लिए कड़ाके की सर्दी के बावजूद सुबह से जिले भर से नृतक दलों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था.

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कार्यक्रम में दिखी जनजातीय संस्कृति का झलक: कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने भारत माता, वनवासी कल्याण आश्रम के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत बाला साहेब देशपांडें, जगदेव राम और व्यवस्थापक प्रकाश काले के तैल्य चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर किया. आयोजन के उद्देश्य के संबंध में बताते हुए जिला पंचायत सदस्य लालदेव भगत ने बताया "लोक नृत्य सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, अपितु यह जनजातियों की परम्परा, सामाजिक और धार्मिक मान्यता, संस्कृति और लोकाचार का प्रतिनिधित्व करती है. वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना जनजातियों को संगठित कर उनके मूल पहचान को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए की गई थी. लोक कला संगम के माध्यम से जनजातिय संस्कृति की बहुरंगी आयाम को एक मंच पर प्रदर्शित करने प्रयास किया गया.

लोकनृतक दल ने मोहा सबका मन: स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित लोक नृत्य में बच्चों व युवाओं के साथ बुजुर्ग महिला और पुरूषों का उत्साह भी देखते बन रहा था. पारम्परिक वेशभूषा में सजे हुए लोकनृत्क दल करमा, सरहुल, डंडा नृत्य की प्रस्तति दे रहे थे. लोक नृत्य को देखने के लिए शहर और आसपास के ग्रामीण भारी संख्या में कल्याण आश्रम में उमड़े हुए थे.

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