जशपुर : जशपुर में हाथियों के साथ कैसे पेश आए ये सिखाने के लिए हाथी की पाठशाला (Elephant school in jashpur) लगाई गई है. पाठशाला में हाथी मित्र दल , वन प्रबंधन समिति के लोग हाथी प्रबंधन की पढ़ाई कर रहे हैं. इस हाथी पाठशाला (Elephant school) का उद्घाटन वनमण्डलाधिकारी जशपुर जितेंद्र उपाध्याय ने किया. ये पाठशाला तपकरा रेंज के सरकरा गांव में लगाई गई.इस गांव के आसपास के क्षेत्र हाथी प्रभावित है.अक्सल हाथियों के गांवों में घुसने और ग्रामीणों से संघर्ष की खबरें आम बात है. कई बार ये देखा गया है कि ग्रामीण हाथियों से बचने के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे हाथी और भी ज्यादा उग्र हो जाते हैं.इसी द्वंद्व को रोकने के लिए इस तरह की पाठशाला का आयोजन हुआ है.
क्यों जशपुर में लगाई गई हाथी पाठशाला :जशपुर जिला छत्तीसगढ़ में हाथियों का प्रवेशद्वार माना जाता (Sarkara Forest area) है. यहां 1986 में झारखण्ड बॉर्डर से हाथी पहली बार यहां आये. फिर 90 के दशक में ओडिशा बॉर्डर क्रॉस करके जशपुर जिले में एंट्री कर गए. तब से आज तक बीते 36 सालों में हाथियों का विचरण क्षेत्र बढ़ने के साथ ही साथ यहां हाथियों की आबादी भी बढ़ती गई. स्थिति यह हो गई है कि जशपुर ही नहीं सरगुजा भी ह्यूमन –एलिफेंट कांफ्लिक्ट जोन यानी मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्र बन गया है.जिसके कारण हाथी और मानव दोनों का ही जीवन संघर्षमय हो चुका है.