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जशपुर: पिता की अर्थी को कंधा और मुखाग्नि देकर बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज

लोदाम गांव की दो बेटियों ने ऐसा कुछ कर दिखाया कि जिसने भी इसे देखा और सुना, बेटियों के साहस की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका. दो बेटियों ने अपने मृत पिता को अपने कंधे पर रख कर ना केवल श्मशान ब्लकि उन्हें मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई भी दी.

जब बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज

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Published : Nov 22, 2019, 1:16 PM IST

Updated : Nov 22, 2019, 3:16 PM IST

जशपुर:पुरानी परंपरा और रीति रिवाजों को तोड़ जशपुर के एक गांव की दो बेटियों ने समाज के लिए नजीर पेश की है. पिता की मौत के बाद दोनों बेटियों ने पिता की अर्थी को कांधा दिया. दोनों बेटियों ने बेटों की तरह फर्ज निभाया और पिता का अंतिम संस्कार भी किया.

जब बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज

दरअसल छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित एक छोटे से गांव लोदाम की दो बेटियों ने पिता की मौत के बाद उन्हें अंतिम विदाई देने की ठानी. दोनों बेटियों ने अपने मृत पिता को अपने कंधे पर रख कर ना केवल श्मशान पहुंचाया , ब्लकि उन्हें मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई भी दी. दोनों बेटियों के इस कार्य की पूरे गांव में तारीफ हो रही है. हर कोई इस कदम की प्रशंसा कर रहा है.

हार्ट अटैक से हुई थी पिता की मौत
ग्राम लोदाम के रहने वाले चंद्रशेखर मंझोनिया (80 वर्ष) का बीते मंगलवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया था. घटना उस वक्त हुई जब बुजुर्ग अपने निजी काम से जशपुर बैंक गए थे. लेकिन बैंक कर्मचारियों से चर्चा के दौरान ही वह बेहोश होकर गिर पड़े.

उन्हें मौके पर मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों ने जिला अस्पताल पहुंचाया. जांच के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. मृतक चंद्रशेखर मंझोनिया, लोदाम के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय लोदाम से बतौर प्रधानपाठक रिटायर हुए थे.

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जशपुर के लिए मिसाल बनी दोनों बेटियां
बेटी के कंधे पर विदा होते पिता के इस दृश्य को जिसने भी देखा,वह आश्चर्य चकित रह गया. जशपुर जैसे पिछड़े जनजातीय क्षेत्र के लिए इसे एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है.

Last Updated : Nov 22, 2019, 3:16 PM IST

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