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EXCLUSIVE: सूख गए पौधे और पर्यावरण बेहाल, ये है 'हरिहर छत्तीसगढ़' योजना का हाल

पूर्व की छत्तीसगढ़ सरकार ने एक योजना चलाई थी, जिसका नाम है 'हरिहर छत्तीसगढ़'. 2015 में तत्कालीन रमन सरकार ने इसकी शुरुआत की थी. बकायदा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस योजना का शुभारंभ किया था. क्या हाल है इस योजना का ETV भारत के रिपोर्टर्स आपको बताएंगे.

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Published : Jun 5, 2019, 7:29 PM IST

रायपुर: विश्व पर्यावरण दिवस पर हम भले एक-दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हों लेकिन हकीकत ये है कि अगर हम यूं ही अपनी प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते रहे, तो कुछ साल बाद साफ हवा और साफ पानी के लिए तरसने लगेंगे. वैसे तो सरकारें योजना चलाकर पौधरोपण और पर्यावरण के लिए कदम उठाती हैं लेकिन धरातल पर सब दम तोड़ देती हैं.

ये है 'हरिहर छत्तीसगढ़' योजना का हाल

पूर्व की छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसी ही एक योजना चलाई थी, जिसका नाम है 'हरिहर छत्तीसगढ़', 2015 में तत्कालीन रमन सरकार ने इसकी शुरुआत की थी. बकायदा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस योजना की शुरुआत की थी. क्या हाल है इस योजना का ETV भारत के रिपोर्टर्स आपको बताएंगे.

रायपुर में हरिहर छत्तीसगढ़ योजना का हाल

  • 2015 में शरू की गई इस योजना के तहत अधिक से अधिक पौधरोपण करना था. 3 साल में कुल 25 करोड़ पेड़ लगाए गए, 7 करोड़ रुपए भी खर्च किए गए लेकिन अब उन पौधों की सुध लेने वाला कोई भी नहीं है.
  • 2018 में तो हरिहर क्रांति के तहत पौधरोपण तक नहीं किया गया, जो पुराने लगाए गए पौधे हैं वे सूख चुके हैं. 10 से 15 विभाग हैं, जिन्हें पौधरोपण की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन वहां भी यह सिलसिला बंद हो चुका है.
  • साल 2015 10 करोड़ पौधरोपण किया गया.
  • साल 2016 में 759.79 लाख पौधरोपण किया गया वहीं साल 2017 में 08.02 करोड़ पौधरोपण किया गया. राजधानी रायपुर से 10 किलोमीटर दूर सौन्दनरी में 8000 पौधे लगाए गए. ये पौधे अब पूरी तरह से सूख चुके हैं.
  • पौधरोपण की जो गाइडलाइन है उसके तहत दिसंबर माह में जगह खोज लेनी चाहिए. जनवरी फरवरी माह में गड्ढे खुदवा लेने चाहिए और जून माह अंत तक पौधरोपण हो जाना चाहिए पर प्रदेश में जुलाई माह में जगह की खोज शुरू की जाती है और आनन-फानन में पौधरोपण कर दिया जाता है.

राजनांदगांव में हरिहर छत्तीसगढ़ योजना का हाल

  • हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के तहत वन विभाग से करीब 5:30 करोड़ रुपए खर्च कर जिले के अलग-अलग स्थानों में रोपे गए पौधे अब ठूंठ में बदल चुके हैं.
  • हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के तहत वन विभाग ने पांच करोड़ 49 लाख रुपए खर्च कर जिले के अलग-अलग स्थानों में पौधारोपण किया था लेकिन आप यह पौधे ठूंठ में बदल चुके हैं. तकरीबन 5 से 6 फुट के पौधे अपने स्थान पर सूख कर ठूंठ में बदल चुके हैं.
  • वन विभाग ने शहर के ऑक्सीजन जोन में करीब 5000 पौधे लगाए थे. जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में लाखों रुपए खर्च कर बड़ा आयोजन किया और पौधारोपण कराया लेकिन आज जिन स्थानों में पौधारोपण किया गया था वहां पौधे सूख कर खराब हो चुके हैं.
  • पौधों की सुरक्षा को लेकर भी वन विभाग ने यहां पर कोई ध्यान नहीं दिया इसके चलते मवेशी अधिकांश पौधों को नष्ट कर चुके हैं और बचे हुए पौधे पानी की कमी के चलते सूख कर खराब हो चुके हैं.
  • वन विभाग ने हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत 38532 पौधे, मनरेगा के तहत 10500 पौधे, कैंपा कोला मद से तीन लाख 61 हजार पौधे और हरियाली प्रसार योजना के अंतर्गत 15 लाख पौधे लगाए लेकिन विभाग के इस पौधारोपण कार्यक्रम की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
  • शहर के ऑक्सीजन जोन की पड़ताल करें तो यहां लगाए गए पौधे पूरी तरीके से सूख कर खराब हो चुके हैं, वहीं अलग-अलग स्थानों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है इससे स्पष्ट होता है कि वन विभाग के अधिकारी पौधारोपण के नाम पर केवल विभागीय बजट के साथ खेल रहे हैं.

बस्तर में हरिहर छत्तीसगढ़ योजना का हाल

  • हरिहर छत्तीसगढ़ योजना बस्तर में भी दम तोड़ती नजर आ रही है. योजना के तहत समूचे बस्तर संभाग के 6 जिलो में बीते 4 वर्षो में हजारों की संख्या में वृक्षारोपण किया गया था. जिसमें फलदार पौधे समेत निलगिरी, अर्जुन और सरगी व साल वनों के पौधे लगाए गए थे.
  • वहीं पिछले 2 वर्षों की बात की जाए तो बस्तर संभाग के 6 जिलों में 68900 पौधे लगाए गए, जिसमें बस्तर जिले में 2017-18 में 26400 पौधे और 2018-19 में दंतेवाड़ा में 2000 पौधे लगाए गए लेकिन देखरेख के अभाव में यह पौधे अब नष्ट होने की कगार पर पहुंच गए हैं.
  • लक्ष्य के मुताबिक बस्तर संभाग के 6 जिलों में 2 लाख 40 हजार पौधरोपण किया जाना था जबकि इन तीन सालों में केवल 70 हजार ही पौधरोपण किए गए.
  • लामनी ग्राम में सालभर पूर्व हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के तहत लगभग 12 हेक्टेयर में वृक्षारोपण किया गया था और तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के मौजूदगी में स्कूल बच्चे समेत वन विभाग के सभी कर्मचारियों ने यहां वृक्षारोपण किया. जानकारी के मुताबिक यहां 13 हजार 200 पौधे रोपित किए गए लेकिन वृक्षारोपण किए साल भर में ही रखरखाव के अभाव में यह पौधे पूरी तरह से सूख कर नष्ट हो गए हैं.
  • आलम यह है कि बीते साल भर में सिर्फ दो बार ही इन पौधों को पानी दिया गया है. जबकि मेंटेनेंस के नाम पर हर 6 महीनों में विभाग के संबंधित अधिकारी लाखों रुपए डकार जाते हैं.

कोरबा में हरिहर छत्तीसगढ़ योजना का हाल

  • हरियर योजना के तहत जिले में लगभग 3 लाख वृक्षारोपण होना था. इस योजना के तहत कोरबा शहर के जिला जेल परिसर में भी 100 पौधे लगाए थे लेकिन आज वहां एक पौधा नहीं बचा है.
  • 2 साल पहले लगे पौधों का अब अस्तित्व नहीं रहा है. योजना के तहत लगाए गए पौधे 2 वर्ष में खत्म हो गए हैं.

जांजगीर-चांपा में हरिहर छत्तीसगढ़ योजना का हाल

  • 2016 से अब तक इस योजना के तहत जिले में अब तक 1,95,341 पौधों का रोपण 170.4 हेक्टेयर जमीन में किया गया. जिसके लिए 502.05 लाख रुपये राशि का अनुदान मिला, जिसमे से 478.19 लाख राशि खर्च की जा चुकी है.
  • कई जगह ऐसी हैं, जहां प्लांटेशन होने के बाद रख-रखाव और पर्याप्त पानी न मिलने की वजह से पौधे सूख कर मर चुके हैं तो कई ऐसे जगह है जहां बंजर जमीन पर ही पौधारोपण का काम किया गया है.
  • 2016-17 में 6.7हेक्टेयर जमीन में कुल 4271 पौधे लगाए गए.
  • 2017-18 में 61 हेक्टेयर जमीन में कुल 67100 पौधे लगाए गए.
  • 2018-19 में 102.7 हेक्टेयर जमीन में कुल 123970 पौधे लगाए गए.
  • 2016 से 2019 तक 502.05 लाख रुपये राशि का अनुदान मिला, जिसमें से 478.19 लाख की राशि खर्च की जा चुकी है.

जशपुर में हरिहर छत्तीसगढ़ योजना का हाल

  • जिले के सभी 8 विकासखंडों के अंतर्गत प्रमुख स्थलों, संस्थानों, विद्यालयों, शासकीय भवनों, अर्ध शासकीय भवनों, पंचायत, आंगनबाड़ी मछुआ समूह, दिव्यांग बच्चों के द्वारा विभिन्न स्थानों पर वृक्षारोपण किया गया था. इसके साथ ही लोक शिक्षक केंद्रों में 9000 से अधिक पौधे भी लगाए गए थे.
  • हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण अभियान में विभाग वार और कुछ स्थानों पर विशेष वाटिका का निर्माण किया गया था, जिसमें जशपुर जिला मुख्यालय के करीब ग्राम गम्हरिया के डोडका चोरा में चंदन वाटिका बनाई गई है. 11 सौ चंदन के पौधे और 11 सौ शीशम के पौधे लगाए गए हैं.
  • इस चंदन वाटिका में लागये गए शीशम और चंदन के पौधे काफी अच्छी स्थिति में हैं. कुछ गिने-चुने चंदन के पौधे तो मर गए पर बाकी बचे चंदन के पौधे सुरक्षित लहलहा रहे हैं. शीशम के लगाए गए पौधे पूरी तरह जीवित हैं. इस चंदन वाटिका को सुरक्षित रखने के लिए पूरे क्षेत्र को घेर दिया गया.

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