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Jashpur World Famous Christmas : एशिया के दूसरे सबसे बड़े चर्च में सादगी से मनेगा क्रिसमस

जशपुर जिले के कुनकुरी का महागिरजाघर (Church of Jashpur) एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च (Asia second largest church in jashpur) है. इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्धालु प्रार्थना कर सकते हैं. इस बार यहां कोरोना गाइडलाइन के पालन के साथ क्रिसमस मनाया (Jashpur World Famous Christmas) जाएगा.

Jashpur World Famous Christmas
जशपुर का विश्व प्रसिद्ध क्रिसमस

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Published : Dec 24, 2021, 9:43 PM IST

Updated : Dec 24, 2021, 10:16 PM IST

जशपुर:कुनकुरी का महागिरजाघर एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा चर्च माना (Asia second largest church in jashpur) जाता है. एशिया के दूसरे सबसे बड़े चर्च में लाइटों के साथ क्रिसमस ट्री की खूबसूरत सजावट इस बार (Jashpur World Famous Christmas) देखने को मिलेगी. हालांकि यहां कोरोना गाइडलाइन का पालन सख्ती से किया जाएगा. कोरोना के कारण ही इस बार रोजरी की महारानी गिरजाघर में क्रिसमस सादगी के साथ मनाया (Christmas celebrated simplicity) जाएगा.

एशिया के दूसरे सबसे बड़े चर्च में सादगी से मनेगा क्रिसमस

सादगी से मनाया जाएगा महागिरजाघर में क्रिसमस

जशपुर के विशप एम्मानवेल केरकेट्टा (Bishop Emmanuel Kerketta)ने लोगों को क्रिसमस की बधाई दी. उन्होंने कहा कि विश्व में पिछले दो सालों से फैली कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार रोजरी की महारानी महागिरजाघर में क्रिसमस पर्व सादगी से मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि रोम में रहने वाले धर्म पिता का संदेश है कि कोरोना के कारण पूरा विश्व पीड़ित है. उन्होंने बताया कि यहां बिशप हाउस की तरफ से नाच-गाना नहीं होगा. साथ ही इस बार संस्कृति कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी गई है. क्रिसमस को भौतिक नहीं बल्कि आध्यत्मिक और पारिवारिक रूप से मनाने का सुझाव दिया गया है.

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10 हजार से अधिक लोग कर सकते हैं एक साथ प्रार्थना

रोजरी की महारानी महागिरजाघर वास्तुकला का अदभुत नमूना है.यह विशालकाय भवन केवल एक बीम पर टिका हुआ है. इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है. इसमें 7 छत और 7 दरवाजे हैं. इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्वालु प्रार्थना कर सकते हैं. क्रिसमस में न केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पंहुच कर प्रभु से प्रार्थना करते हैं.

17 साल में बन कर तैयार हुआ था महागिरजाघर

महागिरजाघर की आधारशिला 1962 में रखी गई थी. जिसका एक हिस्सा 1964 में पूरा हुआ, तो वहीं दूसरा हिस्सा 1979 में पूरा हुआ था. इसका लोकार्पण 1982 मेें हुआ. 17 वर्ष में बन कर तैयार हुए महागिरजाघर को आदिवासी मजदूरों ने बनाया था. इस चर्च की अनूठी वास्तुकला और बनावट बाइबिल में लिखे तथ्यों के आधार पर हुई है. जिले में इस चर्च से संबंधित लगभग 3 लाख से अधिक अनुयायी हैं.

मन मोहती है कैरोल गीतों की धुन

यहां लाखों लोग प्रभु यीशु के दर्शन करने आते हैं. महागिरजाघर सहित जिले के अनेक चर्च में महीने भर से कैरोल गीत की धुन गूंजने लगती है. लेकिन कुनकुरी के चर्च में इसकी विशेष धुन मन को मोह लेने वाली होती है. यह इस क्षेत्र के इसाई समुदाय का मक्का माना जाता है. जहां लाखों की संख्या में लोग आते रहते हैं. ये बेजोड़ वास्तुकला, सुंदरता, भव्यता, प्रार्थना और अपनी आकृति के लिए प्रसिद्ध है.

कड़ाके की ठंड में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़

यहां हर साल कड़ाके की ठंड पड़ने के बावजूद चर्चो में रौनक देखी जाती है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. कोरोना के कारण क्रिसमस का त्यौहार बदरंग हो गया और रोजरी की महारानी महागिरजाघर में इस बार बाहर से आने वालों पर रोक लगा दी गई है. यानी कि इस बार इस चर्च में बाहरी क्रिसमस नहीं मना पाएंगे.

Last Updated : Dec 24, 2021, 10:16 PM IST

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