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रसोइयों की केंद्र सरकार को चेतावनी, मांगे पूरी नहीं की तो आम चुनाव में होगा विधानसभा चुनाव जैसा हश्र - parliament

जशपुर: छतीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग के अधीनस्थ कार्य कर रहे रसोइयों ने बैठक का आयोजन किया. बैठक में जिले भर के पदाधिकारी और सदस्यों ने हिस्सा लिया और कई अहम निर्णय लिए है. साथ ही रसोइयों ने इस बैठक में 21 फरवरी को दिल्ली में संसद भवन का घेराव कर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

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Published : Feb 4, 2019, 2:51 PM IST

रसोइयों ने कहा कि लोकसभा चुनाव तक मांगे पूरी करने का समय दिया जा रहा है. यदि हमारी मांगे पूरी नहीं की जाती है, तो छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के परिणाम जैसा ही लोकसभा में भी परिणाम आएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश भर में 84 हजार रसोइया शासकीय स्कुलों में अपनी सेवाएं दे रहे है और 1995 से लेकर आज तक मानदेय 40 रुपये तक ही हो पाया है.

हित में आया था फैसला
मध्यान भोजन रसोइया संघ के जिला अध्यक्ष हीरा चंद यादव ने प्रदेश की नई सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने जो वादा किया था उसे पूरा करे. पिछली सरकार के समय 2016 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसका फैसला हमारे हित में आया था. इसमें 255 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिए जाने का निर्णय आया था. जिसे लेकर पूर्व सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के पास कई बार गुहार लगाने पर भी हमारी बात नहीं सुनी गई थी.

21 फरवरी को दिल्ली में संसद का घेराव करेंगे
हीरा चंद यादव ने कहा कि वर्तमान में विधानसभा चुनाव के पहले भूपेश बघेल और टी एस सिंह देव ने वादा किया था कि अगर सरकार आती है तो मानदेय कलेक्टर दर के हिसाब से दिया जाएगा और 2 महीने के अंदर रसोइयां कर्मचारियों की मांग को पूरा किया जाएगा, लेकिन 2 महीने बीतने के बावजूद भी हमारी कोई बात नहीं सुनी जा रही है, जिससे हम आक्रोशित है और 21 फरवरी को दिल्ली में संसद का घेराव किया जाएगा.

सरकार कर रही है अत्याचार
रसोइया संघ की समुद्री बाई ने कहा कि हमारी मांगों को कोर्ट के फैसले के तहत पूर्ण किया जाए. 1995 से हम कार्यरत है पर हम वहीं के वहीं है हमारे ऊपर सरकार अत्याचार कर रही है अब नहीं सहा जाएगा. पिछले वर्ष 84 दिनों की हड़ताल के बाद भी हमारी बात सरकार ने नहीं सुनी, 40 रुपये हमें मानदेय दिया जाता है. सुबह 10 बजे से लेकर 3 बजे दोपहर तक हम काम करते है, जिसके कारण हम कोई और काम भी नहीं कर पाते.

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